Day: January 27, 2022

मॉ का जन्मदिन

मॉ का जन्मदिन

ममी का बर्थ डे बर्थ डे मनाने की परंपरा बिदेशी होने के साथ ही इसकी व्यवस्था भी बिदेशी ही है। हिन्दुस्तान मे गुजर चुके लोगो से कुछ सिखने की व्यवस्था है जिसको हम याद करते है तथा जिसकी वर्षी हर साल हमलोग मनाते है। समय के साथ होने वाले परिवर्तन के प्रती हम सहज बनते जा रहे है। सधारणतया युवा को इसके प्रति ज्यादा रुची रहती है। स्वयं को महीमा मंडित करने की प्रथा समाज मे स्वयं के प्रती के भाव को बढ़ावा देता है। ऐसा देखने को मिलता भी है कि आज का समाज व्यक्ति केद्रित होता जा रहा…
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मामा जी की 45 वाँ एनिवर्षरी

मामा जी की 45 वाँ एनिवर्षरी

मामा जी की 45 वॉ एनिवर्षरी एनिवर्शरी को मनाने का सामान्य प्रचलन भारत मे नही है। फिर भी समय के साथ लोगो को इसमे दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। तनाव भरी जिवन के आजकल के इस दौर मे लोगो को कुछ समय मिल जाता है जब लोग सब कुछ भुलाकर अपनी एक नयी रंग मे रंग जाते है। खुशीयोँ को ताजा करने का यह चलन स्वभाविक रुप से बड़ा आनन्दायक होता है। छनभंगुर जिवन के एक-एक वर्ष की खुशीयाों का सौगात अपनो के साथ बांटनाा एक अलग ही सुखद एहसास देता है।          जिवन की नइया के पार जाते एक-एक…
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माँ दुर्गा और युद्ध भूमी

माँ दुर्गा और युद्ध भूमी

मां दुर्गा के युद्ध भुमी सामाजिक न्यायिक जीवन निर्वाह के लिए उसके ताना-बाना को समझना होता है तथा उसके अनुरुप अपने को ढ़ालकर कार्य करने की कला विकसित करनी होती है। सामाज मे एक साथ कई घटना घटित होती है। सभी घटना को समझना तथा उसके अनुरुप चलना कठिन कार्य है। हमें अपनी कोई एक दिशा तय करनी होती है, जिसके सहारे हम आगे बढ़ते है। यही दिशा हमारे जीवन को एक अर्थ देता है। यह दिशा कौन हो, इसका सही प्रारुप क्या हो, इस बात को समझने के लिए हम समाज मे घटित होने वाले घटना को विश्लेषित करते…
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भाभी के साथ रंग

भाभी के साथ रंग

भाभी के साथ रंग होली हिन्दुओ में आपसी भाईचारा को स्थापित होने के लिए मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पर्व है जिससे आपसी बिद्वेश को कम करने के लिए एक दूसरे को उत्सहित किया जाता है। इससे एक पौराणिक कथा भी जुड़ा हुआ है। जिसमे होलिका का अंत हो जाता है तथा प्रहलाद को जीवन दान मिलता है। व्यवहारिक रुप मे होली आपसी भेदभाव को मिटाने का माध्यम है। रिस्ते में प्रगाढ़ता को बनाता देवर भाभी के रिस्ते का नोक-झोक देखते ही बनाता है। इसी भाव को व्यक्त करता यह काव्य रचना हमको आजकल के सामाजिक नजरीया के खुलापन के…
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बिर्रो

बिर्रो

बिर्रो उमंग उल्लास मे बितता जीवन जब एक नये दौर मे पहुँचता है, तो उसका सुखद एहसास गहरा तथा अति व्यक्तिगत होता है। इस नाजुकता को समझ पाना आसान नही है। इसका बर्णन तो काव्य रुप मे ही किया जा सकता है, जिससे की इसकी प्रखरता का अनुमान लगाया जा सके। आजकल बहुत कम लोग होते है, जो ऐसी उड़ान का आनन्द लेना पसंद करते है। अधिकांश लोग तो सोर सरावा मे इस तरह खो जाते है कि उनको वास्तविकता का एहसास ही नही होता है। वह लगतार ही यह खोजता रहता है कि आखिर इस छनिक एहसास का मुल…
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