Month: January 2022

नफरत का फल

नफरत का फल

नफरत का फल नफरत व्यक्ति को अंधा बना देता है, व्यक्ति की मानसिक स्थिति पुरी तरह बदल जाती है। वह अपनी बैचारिक सिमा के बाहर नही जा पाता है। उस सिमा के बाहर जाकर सोचना उसके लिए अत्यंत दुखद होता है। दुख के इस बंधन के पार जाकर सोचना तथा उसका निदान निकालना नही चाहता है क्योकि बह अपनी बर्तमान सोच को ही अंतिम सोच मान लेता है। व्यक्ति कभी पुरा घटना चक्र को अनजान बनकर नही सोचता है, बल्कि बह उसका हिस्सा बनकर रह जाता है। आनेवाली समस्या के जानकर होने के बाबजुद बह अपनी सही हल नही निकाल…
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दोस्ती का सफर- श्रधांजली

दोस्ती का सफर- श्रधांजली

यह संकलन हमारी दोस्ती सफर के अंतहीन कहानी को कहता एक संकलन है जिसका यहां बर्णन है। दोस्ती की यादगार पल को सावित करने वाली कविता एक अनुपम उपायेदान है। दोस्ती को श्रधांजली देना एक कठिन पल है क्योकि उनका साथ कई अनसुलझे पहलु को सही रुप से देखने तथा उसपर बीचार करने के कुशल अनुरोध जो मिलता था वह अनुपम संयोग होता था। आज ओ पर नही है पर उनता याद हमे उनकी कमी को दर्शाता है। जिसका निरुपन यहां किया जा रहा है। कविता के रुप मे यहां हम अपना बिचार कविता के रुप मे रख रहे है।…
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दोस्त को  श्रधांजली

दोस्त को श्रधांजली

दोस्त की श्रधांजली दोस्त आपकी सम्पुर्ण यादो को पुर्ण रुप से  संकलन करना संभव नही है लेकिन आपके यादो को एक रुप देकर आपनो तक संदेशा पहुंचाना जरुरी है। ताकि सबके भाव एक दुसरे मे समाहित हो जाये। हमारे द्वारा यह काव्य संकलन इसीमे किया गया एक छोटा सा प्रयास है। दोस्त के खालीपन को भरना संभव नही है। क्योकि बिता कल वापस नही आता बस आती है तो जाने बाले की यादे। ये ओ दौलत है जो एक दोस्त को एक-दुसरे से अलग करता है। यादो का भंडाक दोस्ती की सौगात होती है। जिसमे हम बिते पल को फिर…
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दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी परम आराध्य  भगवान शिव के मगलवेला के आराधक की आज दुसरी सोमबारी है। आज भक्त का ध्यान गहरा है। प्रभु ज्ञान के अथाह सागर मे गोते लगाकर कुछ बिचार ढ़ुढ लाया हुँ। भक्तो के बिच ये बिचार को प्रसाद स्वरुप बांट रहा हुँ। आप आपना कृपा दृष्टि लगातार भक्त पर बनये रखना।        भगवान शिव की लागातर आराधना से भक्त को भगवान के परम धाम तक पहुँचने का प्रयास सुलभ हो जाता है। उनकी भक्ति को समझना कठिन है लेकिन यह सगम मार्ग सबको प्राप्त हो । सावन का ये भक्तिमय पर्व हमे नित्य के समझ के साथ…
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दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती  नवरात्र के शुरु होते ही माता दुर्गा की पुजा आरम्भ हो जाती है। माता की प्रतिमा के स्थापना के साथ ही प्रतिमा मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्रत्येक दिन सुवह-शाम माता की आरती की जाती है। माता की कई प्रकार की आरती गाई जाती है। आरती मे माता का गुणगाण करते है। माता के दिव्य रुप को साक्षात सामने होने का एहसास होता है। ऐसा मानते हुए की माता मेरे सामने खड़ी होते है, तथा माता की आरती उतारते है। भाव विहल मन जो कहता है, उसको शब्द रुप मे बर्णन करना बहुत कठिन है।…
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दिदी को 26 वाँ मैरेज एनिवर्शरी

दिदी को 26 वाँ मैरेज एनिवर्शरी

दिदी का 26 वाँ मैरेज-एनिवर्शरी लेख जीवन के आधी पड़ाव पर यदि जीवनसाथी साथ छोड़ जाये तो आने वाले दिन का अनुमान लगाना कठीन होता है। समय के साथ जीने की काल को सिखना पड़ता है। उपलब्ध संसाधन का उपयोग करते हुए जीवन निर्वाह करना बहुत ही कठीन होता है। जीवनसाथी के गुजरने के बाद के पहले सादी के साल गिरह पर अपने बेदना को भरोसा से सवांरती एक नारी की आपबीती की कहानी को कहता यह कविता हमारे अंतःकरण को छु जाता है। मानव को यदि भविश्य का ज्ञान होता तो वह कोई न कोई जतन जरुर कर लेता…
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दहेज

दहेज

दहेज दहेज का बोलबाला हमेशा से रहा है। शायद ही इसको पुर्ण रुप से समाप्त किया जा सके। लेने तथा देने की प्रबृति दोनो तरफ रहती है। इसी से व्यक्ति के गुण दोष का पता भी चलता है। एक चलन भी लोगो को प्रभावित करता है। कोई धन लेकर दुल्हन से समझौता करता है तो कोई दुल्हन लेकर धन से समझौता करता है तो कोई निःस्वार्थ भाव से अपने को धन्य करता है। इस बिशाल जनमानस के बिच रंग बिरंगे रुप देखने को मिलता है। हमारा उदेश्य ऐसे समाज की स्थापना का रहता है जो एक स्वस्थ्य परम्परा का निर्माण…
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तीज

तीज

तीज पर्व तीज पर्व का पावन त्योहार रिस्तो की मजबुती के लिये किया जाने वाला त्योहार है। यूँ तो हम रोज ही आने जाने वाली समस्या के साथ दो चार होते रहते है। लेकिन एक खास अवसर पर जब लोग एक साथ एक समुह बनाकर किसी एक बिचारधारा के साथ बिचार-्बिमर्श करते है, तो उसका प्रभाव समग्र रुप से समाज पर पड़ता है। यह समाज मे बिचार स्थापना के लिये बनाया गया एक अचुक अस्त्र है। भाव प्रधान यह पर्व परिवार की निव को मजबुती प्रदान करता है। जहां परिवार मजबुत होता है, वहां का समाज भी सश्कत होता है।…
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तीसरा सोमवारी

तीसरा सोमवारी

भगवान भोलेनाथ को जल प्यारा है। शुद्ध जल को व्यवस्थित तरीके से भगवान को जलाभिषेक के बाद मन में शीतलता का भाव आता है। कहते है की जब भागीरथी के कठोर तप से गंगा स्वर्गलिक से धरती पर अवतरित हुई थी तो उसके तेज धार को रोकना संभव नहीं था। तब भगवान शिव ने अपनी जटा में गंगा को समेट कर मानव कल्याण के लिए गंगा की निरसित किया था। बहती जल धारा जीव जगत के लिए जीवन का आधार है। बहुत सारे पशु पक्षी अपना प्यास बुझाने के लिए बहता जल का ही उपयोग करते है, लेकिन उनकी जरूरत…
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