Bhakti

विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा धातु के रुप मे लोहा के अविष्कार के साथ मानव जीवन मे बहुत बड़ा बदलाव आया। मानव के विकाश की पुरी दशा ही बदल गई। भाव की प्रधानता से मानव के विकाश की यात्रा का स्वरूप हम आज देख रहे है उसके लिए हम उस दिव्य शक्ति को याद करते है जिसने इसका ज्ञान मानव को दिया। निर्माण के किसी भी कार्य को सफलता पुर्वक करने के लिए देव लोक मे भगवान विश्वकर्मा को याद किया जाता है। मानव तन को ये शक्ति देव रुप विश्वकर्मा से प्राप्त हुआ है। इनके आराधना से कार्य की गुणता बनी रहती…
Read More
माँ दुर्गा और युद्ध भूमी

माँ दुर्गा और युद्ध भूमी

मां दुर्गा के युद्ध भुमी सामाजिक न्यायिक जीवन निर्वाह के लिए उसके ताना-बाना को समझना होता है तथा उसके अनुरुप अपने को ढ़ालकर कार्य करने की कला विकसित करनी होती है। सामाज मे एक साथ कई घटना घटित होती है। सभी घटना को समझना तथा उसके अनुरुप चलना कठिन कार्य है। हमें अपनी कोई एक दिशा तय करनी होती है, जिसके सहारे हम आगे बढ़ते है। यही दिशा हमारे जीवन को एक अर्थ देता है। यह दिशा कौन हो, इसका सही प्रारुप क्या हो, इस बात को समझने के लिए हम समाज मे घटित होने वाले घटना को विश्लेषित करते…
Read More
पहला सोमबारी

पहला सोमबारी

पहला सोमबारी यह बिशेष पर्व सावन की शुरुआत के साथ हर सोमबार को शिव आराधना के शुरु होता है। सावन के समय होने वाले मौसम मे बदलाव के कारण जो बिकार मानव शरीर में पैदा होता है उसे व्यवस्थित करने के लिए यह पर्व बड़ा ही उत्तम है। साधना से शक्ति आती है और शक्ति ही भक्ति का मुलभाव होता है। मन को शिव की गाथा के साथ चिंतन मनन का दैर चलता रहता है। एक भाव मे रहकर मन को स्थिर रखना एक कलात्मक योग है। यहि साधना हमे जीवन मे बिकास के मार्ग को खोलता है। जीवन मे…
Read More
दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी

दुसरी सोमवारी परम आराध्य  भगवान शिव के मगलवेला के आराधक की आज दुसरी सोमबारी है। आज भक्त का ध्यान गहरा है। प्रभु ज्ञान के अथाह सागर मे गोते लगाकर कुछ बिचार ढ़ुढ लाया हुँ। भक्तो के बिच ये बिचार को प्रसाद स्वरुप बांट रहा हुँ। आप आपना कृपा दृष्टि लगातार भक्त पर बनये रखना।        भगवान शिव की लागातर आराधना से भक्त को भगवान के परम धाम तक पहुँचने का प्रयास सुलभ हो जाता है। उनकी भक्ति को समझना कठिन है लेकिन यह सगम मार्ग सबको प्राप्त हो । सावन का ये भक्तिमय पर्व हमे नित्य के समझ के साथ…
Read More
दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती

दुर्गा माता की आरती  नवरात्र के शुरु होते ही माता दुर्गा की पुजा आरम्भ हो जाती है। माता की प्रतिमा के स्थापना के साथ ही प्रतिमा मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। प्रत्येक दिन सुवह-शाम माता की आरती की जाती है। माता की कई प्रकार की आरती गाई जाती है। आरती मे माता का गुणगाण करते है। माता के दिव्य रुप को साक्षात सामने होने का एहसास होता है। ऐसा मानते हुए की माता मेरे सामने खड़ी होते है, तथा माता की आरती उतारते है। भाव विहल मन जो कहता है, उसको शब्द रुप मे बर्णन करना बहुत कठिन है।…
Read More
तीज

तीज

तीज पर्व तीज पर्व का पावन त्योहार रिस्तो की मजबुती के लिये किया जाने वाला त्योहार है। यूँ तो हम रोज ही आने जाने वाली समस्या के साथ दो चार होते रहते है। लेकिन एक खास अवसर पर जब लोग एक साथ एक समुह बनाकर किसी एक बिचारधारा के साथ बिचार-्बिमर्श करते है, तो उसका प्रभाव समग्र रुप से समाज पर पड़ता है। यह समाज मे बिचार स्थापना के लिये बनाया गया एक अचुक अस्त्र है। भाव प्रधान यह पर्व परिवार की निव को मजबुती प्रदान करता है। जहां परिवार मजबुत होता है, वहां का समाज भी सश्कत होता है।…
Read More
तीसरा सोमवारी

तीसरा सोमवारी

भगवान भोलेनाथ को जल प्यारा है। शुद्ध जल को व्यवस्थित तरीके से भगवान को जलाभिषेक के बाद मन में शीतलता का भाव आता है। कहते है की जब भागीरथी के कठोर तप से गंगा स्वर्गलिक से धरती पर अवतरित हुई थी तो उसके तेज धार को रोकना संभव नहीं था। तब भगवान शिव ने अपनी जटा में गंगा को समेट कर मानव कल्याण के लिए गंगा की निरसित किया था। बहती जल धारा जीव जगत के लिए जीवन का आधार है। बहुत सारे पशु पक्षी अपना प्यास बुझाने के लिए बहता जल का ही उपयोग करते है, लेकिन उनकी जरूरत…
Read More
कृष्णाष्टमी

कृष्णाष्टमी

कृष्णाष्टमी कृष्ण के जन्म को भारतीय समाज के द्वारा युग प्रवर्तक के रुप मे देखा जाता है। जब दुष्टो का शासन पुर्णता पर हो और सारे जतन निष्क्रिय साबित हो जाये, तब एक ऐसे व्यक्ति का जन्म स्वर्णिम हो जाता है, जो इस दुष्टो का नाश करे। एक दोस्त का बिश्वास और दुसरे का बिश्वासघात, उसपर निराशा और हताशा के साथ बना संयोग कृष्ण के जीवन को दर्पण की भांती प्रकाशित कर दिया। जीवन मुल्य को निर्धारित करने, स्वयं की पराकाष्टा को बनाने तथा समय के अनुरुप सही निर्णय उनके जीवन मे मिलता है। कृष्ण की गाथा धार्मिक के साथ-साथ…
Read More
करवा चौथ

करवा चौथ

करवा चौथ करवा चौथ पुजन विधीः- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष चतुर्थो को ब्रती दिनभर का निर्जला ब्रत रखती है। रात्री मे चन्द्रोदय होने के बाद गणेश की पुजा की जाती है। ततपश्चात चांद्रदेव की पुजा की जाती है। चन्द्र देव को अर्ध्य भी दिया जाता है। फिर नयी चलनी के पास दिपक रखकर चांद के दिशा मे पति को देखा जाता है। इसके पश्चात पति पत्ति को जल पिलाकर उसके सुखद जिवन का संदेश देता है। संदेशः- यह पर्व आपसी रिस्तो की गहराई को समझने और समझाने का पर्व है। प्यार से रिस्ते और रिस्ते से प्यार के महत्ता…
Read More
आरती छठी माई की

आरती छठी माई की

छठ माई की आरती छठ मईया की आरती हमारी चेतना को जगाकर हमारे भाव को स्पष्ट रुप से चित्रण करती है। जिससे माता के साक्षात दर्शन का भान होता है। दिव्य रुप माता को अपने बिचार मे उतारना एक कठीन कार्य है। हमारे भाव की अभिव्यक्ति से एक आभा मंडल बनता है, जो हमारे चारो ओर एक बृत बनाकर हमे उर्जावान करता है। हमारे द्वारा उच्चारित शब्द हमे नियंत्रित करतें है। हमारी शब्दिक उच्च उर्जा शक्ति का जब शब्द से संचार होता है, तो दिव्य रुप माँ को अपने भक्त की पुकार सुनाई पड़ती है। क्योकि इस आरती मे माँ…
Read More
error: Content is protected !!