काठ की नईया

जोगीरा 2

जोगीरा 2

काठ की नईया यह जोगीरा एक यौवन की उच्चश्रृखता को दर्शाता है। परदेश मे रहने वाले परदेशी को याद करती बिबी की मनोभावना को व्यंग के जरीये जिम्मेदारी का एहसास समाज को कराता है। उमंग उल्लाश का अपना एक गणित होता है जिसमे इसको साधना कठिन हो जाता है। होली का त्योहार के लिए लोग दुर दराज से घर को लौटते है। यह जोगीरा हमे कहता है कि मन की तरंग को समझते हुए होली के इस मिलन को सार्थक बनावे। हमारा मन को व्यंग के ये बाण तरंगित करता हुआ समाज मे एकरुपता को स्थापित करता है। आशा कि…
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