मुड़ मुड़ कर देखे

जोगीरा3

जोगीरा3

मुड़ - मुड़ कर देखने की क्रिया मुलतः भाव प्रधान कार्य को निरुपित करता है। जब व्यक्ति अपने भाव के अनुरुप व्यक्ति को अपने करीव पाता है तो वह उसको जानने की कोशिश करता है। इसी को लेकर वह बार - बार देखता है। जब वह पुरी तरह से आश्वस्त हो जाता है तब ही अगले कदम के बारे मे सोचता है। कभी पति ही अपनी पत्नी की परीक्षा लेने को उत्सुक हो जाता है। प्यार मे यदि शक का भाव दिखने लगे तो इसका निराकरण होना जरुरी है नही तो यह भाव उसे अंदर ही अंदर खोखला कर देगा।…
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