क्या करे क्या न करे

उलझन

उलझन

उलझन उलझन यदि सही समझ न हो तो ये कभी समाप्त नही होती है। उलझने की प्रक्रिया आंतरिक होती है। हमारे निर्णय लेने की क्षमता को ये दर्शाता है। कार्य का आनंद हमारे बुदधी, विवेक और कार्य क्षमता पर निर्भर करती है। हमारे जो ये आँतरिक शक्ति है वही हमे ब्राह्य वातावरण की पुरी जानकारी को डाटा के रुप मे हमारे अंदर संचित करती है जिसके सहारे हम सही निर्णय ले पाते है। यदि हमारी ज्ञानेनद्रिया सही रुप से कार्य नही करती या संग्रहित डाटा़ को विश्लेषित नही कर पाती तो उलझन की समस्या आती है। हमारे द्वारा किये गये…
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