Nature

मजदूर

मजदूर

मजदूर कार्य करने की जरुरत तो सबको होती है कोई मजबुरी मे करता है तो कोई शौक से करता है तो स्वभाव वस करता है। जब किसी खास व्यवस्था मे कार्य किया जाता है और उसके बदले कुछ प्राप्त किया जाता है तो वो मजदुरी के दायरे मे आता है। आजकल जब विशेष कर दैनिक जरुरत की पुर्ती मे कमी आ जाती है तो कार्य करने के लिए मजबुर होना परता है तो दैनिक वेतनभोगी के रुप मे कार्य को करने परते है तो वो मजदुरी के दायरे मे आता है। यही से आगे बढ़ने की कोशीश तीव्र होने लगती…
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वनस्पति और पार्यावरण

वनस्पति और पार्यावरण

बनस्पति और पार्यवरण वैस्वविक प्रतिस्पर्धा के बढने के साथ ही विकाश की होर सी लग गई है। विकाश की इस दिशा का निर्धारण आर्थिक स्तर पर किया जाना लेगा है। आर्थक लाभ-हनि के कारण बहुत सारे बातों के नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। इस नजर अंदाज का प्रभाव दिखने भी लगा है। इस प्रभाव को आंकलन करने वाले तथ्य को ज्यादा महत्व नही दिया जा रहा है क्योकि इससे नुकसान का भाव आता है।       सबसे ज्याद प्रभाव जिसपर पड़ा है वह है हमारा वनस्पति लगातार इसकी संख्या घटती जा रही है। जितने पेड़ लगाये जा रहे है उससे…
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