27
Mar
बनस्पति और पार्यवरण वैस्वविक प्रतिस्पर्धा के बढने के साथ ही विकाश की होर सी लग गई है। विकाश की इस दिशा का निर्धारण आर्थिक स्तर पर किया जाना लेगा है। आर्थक लाभ-हनि के कारण बहुत सारे बातों के नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। इस नजर अंदाज का प्रभाव दिखने भी लगा है। इस प्रभाव को आंकलन करने वाले तथ्य को ज्यादा महत्व नही दिया जा रहा है क्योकि इससे नुकसान का भाव आता है। सबसे ज्याद प्रभाव जिसपर पड़ा है वह है हमारा वनस्पति लगातार इसकी संख्या घटती जा रही है। जितने पेड़ लगाये जा रहे है उससे…