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बन्धन

बन्धन

बन्धन यह शब्द लोगो को बहुत व्यथित करता है, क्योकी यह स्वतंत्रता की धारा मे आवरोध उतपन्न करता है। लेकिन यह यदि योगपुर्ण हो तथा समय के साथ परिवर्तनशिल हो तो लाभकारी हो जाता है। मन की स्वतंत्रता यदि तन को आधार मान ले तो ब्यक्ति का पतन तय मान लेना चाहिए। मन पर बन्धन का मानसिक दवाव एक शक्तिशाली हथियार है। अपने आपको समय के धुरी से बाँधकर रखना एक कलात्मक योग है। इसका सतत पालन करना व्यक्ति को कार्य दबाव से मुक्ति के मार्ग को आसान बना देता है। समय का कार्य के साथ समायोजन जरूरी है जिससे…
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स्वाभिमान

स्वाभिमान

स्वाभिमान का होना बिकाश की ओर अग्रसर के भाव रखने वाले के लिेए अच्छा माना जाता है क्योकि उससे उनका एक छवि गढ़ने का भाव मान मे रखना होता है, जिससे वह अपने गनत्व शिखर तक आसानी से पहुँच सके। स्वाभिमान एक गुणात्मक पहलु है। गुण को गढ़ने की कला यदी गुणी के पास मौजुद है तो उससे उसका पुरा परिदृष्य साफ हो जाता है। वह उपने मुकाम पर पहुँचकर फिर पिछे की तरफ नही देखता है जिससे की उसका भाग्योदय होना माना जाता है। स्वभाव मे गुण के कारण उसकी क्रियाशिलता बनी रहती है। वह सतत अपने विकाश के…
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