Bihar election 2025

बिहार चुनाव 2025

बिहार चुनाव 2025 कई मायने मे खास रहा। चुनाव के नतीजे ने सभी को चौका दिया। जनता का अचानक बदला हुआ बिचार किसी को समझ नही आया। एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत नही आया जवकि एक गठवंधन को बहुमत प्राप्त हुआ है। बिहार की वर्तमान राजनिति मे कोई भी ऐसा पार्टी नही है जो अपने दम पर पुर्ण बहुमत का दावा कर सकती है। बिहार मे इसके कई कारण है। इन्ही कारणो के कारण आज एक तरह के विचारधारा वाले लोग एक समुह बनाकर चुनाव की पटकथा लिखते है।

   बिहार चुनाव की ये स्थिति विगत कुछ दशको से है क्योकि यहां के लोग राजनिति को व्यक्तिगत लाभ हानी के दायरे मे आकर समझते है। पहले के राजनिति भी कमोवेश इसी के इर्द गिर्द धुमती रही है। 2025 की राजनिति कई मायनों मे खास थी। ऐसा माना जा रहा था कि लोग बदलाव चाहते है और इस बदलाव को लेकरके लोग सरकार के विरुद्ध जाकर मतदान करेंगे। इसलिए कई दिग्गज पार्टीयां पुरे प्रभाव के साथ जुड़ी हुई थी।

चुनाव मे कई तरह के मुद्दे को समझा गया और उसको समाज तक पहुँचाकर चुनाव को जितने की कोशिश की गई। जो नतिजा आया वो सबसे भिन्न था। हलांकि सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारीयो मे कोई कमी नही की।

बिहार की वर्तमान चुनौतियां मे रोजगार, कृर्षि की उन्नत व्यवस्था, समाजिक न्याय व्यवस्था प्रमुख मुद्दे है। लेकिन जातिगत व्यवहार लोगो का प्रमुख विचार रहा है इसका कारण व्यक्तिगत भावना को उच्चता प्रदान करना तथा दुसरों से अपनो को अलग समझने की महत्वाकांक्षा प्रमुख है। यहां की पार्टियां इस बात का ख्याल रखती भी है।

  इस बार चुनाव मे पिछले बार की बनने वाली समीकरण मे जो अड़चने रही थी उसको दुर करने के लिए सभी पार्टियों ने प्रयास किये। इस तरह के समिकरण को बनाने के लिए गहन आंतरिक विश्लेषण की जरुरत होती है। इसको वही अच्छी तरह से समझ सकता है जो आधुनिक आपाधापी से अलग सोच रखता हो।

सरकार के रुपांतरण के कारण जनता सभी तरह के पार्टी को जांच परख ली की किस पार्टी मे क्या कमियां है और कौन क्या कर सकता है। जनता के हितैसी लोगो के मनोभाव अलग होते है वे अपने व्यक्तित स्वार्थ की बातो से दुर ही रहते है जवकि कई पार्टीयां अपने व्यक्तिगत व्यवहार को लेकरके सुर्खियो मे बने रहे है जिसे जनता ने सिरे से खारिज कर दिया।

   लोक लुभावन वादों के साथ लगभग सभी पार्टियां चुनावी रण मे थी लेकिन एक दुसरे पार्टी की वादों की जड़ खोदने मे कई पार्टीयां कामयाव रहे जिससे लगा कि समाज के अंदर एक स्पष्ट संदेश पहुंच गया की बिहार के वास्तविक विकाश की डोरी कौन थाम सकता है।

    समाज को समझने के लिए लगातार सकारात्मक प्रयास करने होते है। हर समस्या की वास्तविक और विस्तृत रुप रेखा के साथ एक विश्वस्त बिचार को समाज के अंदर संप्रेषण करना होता है जिससे की समाज को अपने प्रतिनिधि को चुनने का एक ठोस प्रभावी कारण बनता है। आजकल एक व्यपारिक दृष्टिकोण वहुत प्रचलन मे है जिससे समाज के प्रवुद्ध लोग संचालित करते है। जबकि निचे तवके के लोग उपेक्षा के सिकार हो जाते है। वे अपनी बात मे दौनिक जीवन की मौलीक भावनाओ मे सिमटकर रह जाते है। जब उन्हे लगता है कि आज के परिदृष्य मे उसे चुनाव करना है तो वह उसके कारण को नही वल्की उसके कार्य करने की क्षमता को परखते है और अपना निर्णय लेते है।

   एक उन्नत और ठोस राजनिति के लिए अपने व्यवहार को उन्नत रखना होगा। लगातार समाज मे अपने सकारात्क कार्य से समाज को अवगत कराना होगा। समाजिक विकाश एक चुनौतिपुर्ण कार्य है इसके लिए हमे सहज और सजग रहने की जरुरत होती है। हर समस्या की वास्तविक जुड़ाव और उसका प्रभावी निराकरण निश्चय ही विकाश ही एक नयी उन्नत विचारधारा को जन्म देगी।

  समाज को आज भी एक ऐसी व्यक्ति की तलाश है जो बिहार के गौरवशाली इतिहास को आगे बढ़ाने के लिए स्वयं को समाज को समर्पित कर दे। निश्चय ही लोग उनका स्वागत करेगें और फिर एक उन्नत समाज की स्थापना होगी जो आज के समाजिक व्यवहार से अलग उत्तम सोच को प्ररित करेगी। जय हिन्द

लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु

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  • मजदुर वास्तविक जीवन के साथ जोन्दोजहद करते हुए आगे बढ़ते है।
  • चुनाव हमारा श्रेष्ठ हो इसके लिए हमे खास ध्यान रखना होता है।

By sneha

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