हे प्रकृति आपका जय हो। आपको समझकर ही आज मानव अपनी बिकाश यात्रा को आगे बढ़ा रहा है। सुर्य की गति धरती पर जीवन को नियंत्रित करता है, क्योकि उर्जा के वितरण का एक मात्र नियमित स्त्रोत यही है। प्रभात के साथ ही जीवन का बिखराव होने लगता है, तथा सुर्यास्त के साथ ही जीवन सिमटने लगता है। यह बिखरना और सिमटना हमारे दैनिक जीवन का भाग बन गया है। हम इसका अभ्यस्त हो चुके है। इसलिए हम इससे आगे सोचते है। यह सोच हमे प्राकृत से अलग कर देती है। हम यहां स्वयं की आवधारना के सोच को लेकर आगे जाते है। जिससे हम श्रेष्ठम जीवन को जी सके, तथा अपना उत्कर्ष करते हुए परम सुखमय भाव को जगाकर स्वर्गारोहन कर सके।
Good morning nature यानी प्रकृति को सुप्रभात कहने का अर्थ हमे प्रकृति से मिलने वाला जो पादर्थ है, उसके प्रति प्रकृति को धन्यवाद कहते हुए स्वयं को सचेत करना है । इससे जो भाव हमारे मन मे बनता है वह हमे यथेष्ट सावित करेगा। हमें मिलने वाले प्रत्येक वस्तु का मुल्यांकन हम कर सकेंगे। उसकी महत्ता हमारे भाव मे आयेगा। जिससे हम जीवन मे सत्य के करीव रहकर स्वयं को समुचित बिकाश कर सकेंगे।
यहां हम कुछ संदेश को सामिल करते है जो हमारे भाव को समयोचित समायोजित करके हमे सावधान करेगा तथा हमारे जीवन मे रंग भरेगा। हमारा तरंगित मन जब उलझता है तो समाधान को ढ़ुढ़ता है। वह इसे अनुभव से लेकर अवलोकित ज्ञान तक को खोज डालता है। इसके बाद उपलब्ध डाटा के आधार पर हमे सालाह देता है। उसके अनुसार हम फैसला लेते है जो हमारे जीवन को आगे ले जाता है। यही हमारा इतिहास भी बनता है तथा हमारे आत्मा की शक्ती को परिवर्धित भी करता है।
आये हम अपने भाव को जगाकर एक उन्नत मानव की जीवन शैली को पाकर स्वयं को धन्य करते हुए मानव क्लयाण के भाव को जागृत कर सेवा करते हुए बैकुण्ठ धाम को लौट चले।