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जीत की समझ

जीत की समझ

जीत की समझ ब्राह्य आवरण से प्रभावित हुए बिना जो वास्तविकता को समझ जाए है उनके जीत की समझ अच्छी मानी जाती है। कयोंकि सत्य को जानने के लिए व्यक्ति को सतत प्रयास करते हुए आगे बढ़ना होता है। भावना के आगोश में बहने वाले जब सुख की खोज करते है तो वह ब्राह्य आवरण में उलझकर सत्य से दूर चले जाते है।
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जीत के राही

जीत के राही

Jit ke rahi Jit ke rahi जीत के राही जीत यदी जीवन के कार्यशौली का हिस्सा बन जाय तो समझना होता है कि व्यक्ति को कार्य करने का नजरीया बदल गया है। वह कार्य को जीत के हिसाव से देखता है और स्वयं को उसी तरह से व्यवहार भी करता है। जीत की खुशी सारे खुशी पर भारी परती है। जीतने वाला व्यक्ति का बतचीत और समय प्रवंधन सटीक होता है। उसे पता होता है कि वह क्या, क्यो और कैसे  कर रहा है। उसकी पैनी नजर कार्य के प्रगती पर रहती है। समय के साथ कार्य मे बदलाव की…
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