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                                        May                                    
                                
                            
                        
                        
                    
                        भाव के मंदिर मंदिर के प्रकृति तथा उसका आभामय विन्यास को लेकर हमारे मन मस्तिष्क में जो बिचार उतप्लावित होता है उससे एक भाव का निर्माण होता है जो हमे कुछ सिखने के लिए प्रेरित करता है। यही प्रेरणा हमें मंदिर ले जाती है और उस उतप्लावित भाव को स्थाई रुप देते हुए जीवन उत्कर्ष को आगे बढ़ाती है।    भाव सदा एक जैसा नही रहता है इसकी प्रकृति समय के साथ बाहरी व्यवस्था से बदलात रहता है लेकिन हमे जो बिचार आनंद देती है उसका हमारे जीवन मे बड़ा ही महत्व होता है। इसलिए भाव के प्रकार से हमारे…                    
                                            
                                    
