06
Feb
बैवाहिक चक्र बैवाहीक चक्र स्वयं को द्वरा जो प्रयास किये जाते है वह यथेष्ठ होता है तो कभी आत्मगलानी का शिकार नहीं होना होता है। इसी बिचार को संयमित तथा नियमित करना होता है जो हमे व्यहार तथा स्वप्रेरणा से ही सिखना होता है। बौवाहिक जीवन की हर चुनौती को आसान बनाने के लिए कुछ साहसिक उपाय तो किये ही जाने चाहिए जिससे की हमे जीवन की चुनैती को समझने मे सुहिलियत हो। बिचार की इसी प्रवाह को बौचारिक स्तर पर मंथन करते हुए आपको अनुग्रहित करने हेतु हमारा प्रयास है। बैवाहिक जीवन मे आने के साथ ही स्वयं को…