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                                        Apr                                    
                                
                            
                        
                        
                    
                        हे प्रकृति आपका जय हो। आपको समझकर ही आज मानव अपनी बिकाश यात्रा को आगे बढ़ा रहा है। सुर्य की गति धरती पर जीवन को नियंत्रित करता है, क्योकि उर्जा के वितरण का एक मात्र नियमित स्त्रोत यही है। प्रभात के साथ ही जीवन का बिखराव होने लगता है, तथा सुर्यास्त के साथ ही जीवन सिमटने लगता है। यह बिखरना और सिमटना हमारे दैनिक जीवन का भाग बन गया है। हम इसका अभ्यस्त हो चुके है। इसलिए हम इससे आगे सोचते है। यह सोच हमे प्राकृत से अलग कर देती है। हम यहां स्वयं की आवधारना के सोच को लेकर…                    
                                            
                                    
