30
Mar
राजनिति सामाजिक परिवर्तन का आईना होता है जिसमे हमे समाज की परिवर्तन की दिशा का ज्ञान होता है। गतिशिलता जीवन की धारा है जिससे हमारी आत्मा को शक्ति मिलती है वही पर स्थिरता हमारा स्वभाव है जिसमे शरीर को आनन्द मिलता है। इस दोनो भाव को समस्त रुप को एक साथ क्रियांवित होते हुए यहां हम देख सकते है। सुशासन की बात तब होती है जब समाज मे स्थिरता की स्थिति बिगड़ जाती है। इसके बिगड़ने का कारण हमारा स्वार्थ पुर्ण व्यहार होता है, जिससे समाज मे ध्रवीकरण को बल मिलता है। भाव पुर्ण बिरोध बिकाश को प्रदर्शित करती है…