हिन्दी नव वर्ष
भारत एक कृर्षी प्रधान देश है। यहां के वन उपवन से ही सुख और समृद्धी आता है। जिवन को उद्वेलित करने तथा नयापन का एहसास करने के लिए हमारी प्रकृति ही हमारा आधार है।
कहा जाता है कि अन्न से आनन्द आता है। फसल के कटकर घर आने के बाद मन मे प्रसन्नता तो आता ही है वाग बगीचे भी प्रकृति के बदलते मौसम को स्वागत करते है।
फलदायी बृक्ष मज्जर से लद जाता है। मधु की मादकता चलती है तो किटपतंग परागन के लिए मडड़ाने लगते है। प्राकृत अपने नियम को इसतरह सुचिबद्द किया है कि वर्णक्षटा देखते ही बनता है। नव कोपल भी बृक्ष में निकल आते है।
जाड़ा के सिकुड़न तथा गर्मी की प्यास से दुर मौसम आनन्ददायी होता है। इन मनभनवन समय मे ही हिन्दी नव वर्ष मनाया जाता है। 2 अप्रेल का यह समय प्रकृती के साथ गले मिलकर नाचने गाने का है।
प्राकृत प्रेमी हिन्दी बिद्वानो ने आत्मा परमात्मा तथा मानव रुप का जो अनोखा संबंध हमे सिखाया है, वह अदभुत है। प्रलय काल मे भी हमारी संस्कृति की धरोहर सुरक्षीत रहती है। ऐसी अदभुत क्षमता है।
सबका कल्याण सिखाते हए परम वैभवशाली बनाने के गुढ़ रहस्य इसमे समाहित है। लेकिन हम दिखाने के बजाय देखने मे जुट जाते है। इसलिए आज कई तरह की गंभीर चुनौती से हम जुझ रहे है।
नववर्ष का ये पावन पर्व हमें जागृत करता है। हमे स्वयं के अंदर की मादकता को जागाता है। जीवन जीने के नव बिचार को लाता है। एक पुराने को भुलाकर नया करने की चाहत को बनाता है। हम जो कर सकते है वहां हमे आगे चलने की प्रेरणा देता है। सालभर के उथल पुथल के बाद फिर एक नया आता है। यो हर्षदायी संदेश हमें बहुत भाता है। दिल से एक आवाज आता है हिन्दी नव वर्ष मंगलमय हो।
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- अंग्रेजी नया साल को हम बड़े धुम से मनाते है क्योकि बिकाश की यात्रा मे ये हमसे आगे दिखाई देते है, इसलिए इसको हम अपना कर आगे निकलने की होर मे शामिल है।
- दुर्गा माता की नवीन आरती चैती नवरात्रा मे माता को साक्षात भाव पुर्ण आवाह्न का योग बनाता है। आपके सारे मनोकामना पुरा होगा।
- दुर्गा माता और युद्द भुमी मे माता के अती बिशेष भाव को कहा गया है जिसमे समय से लड़ने की कौशल को कहा गया है जीवन के अहम पाठ को पढ़ाता यह काव्य लेख बहुत ही अच्छा है।