वक्त का मुसाफिर

Wakt ka Musaphir

जब कोई व्यक्ति समय के साथ आगे बढ़ता है तो उसके ऊपर बहुत सारे कारक एक साथ कार्य करतें है। यदि कार्य करने वाले को इस कारक का ज्ञान नही है और उसे आगे जाना है तो वह मुसाफिर बन जाता है। यानि समय के साथ आने वाले परिवर्तन को वह अपने कार्य क्षमता और समझ बुझ के साथ हल करते हुए आगे बढ़ेगा। उसका उदेश्य पुरा होगा या नही उस व्यक्ति को मालूम नही है क्योकि पहले से कुछ ज्ञात नही है। इसके लिए उस व्यक्ति के द्वारा किया गया प्रयास अप्रयाप्त था। जिससे संसय बना हुआ है। लेकिन विश्वास की कुंजी उस व्यक्ति के पास है क्योकि वह इस कार्य को करने की हौसला लेकर घर से निकला है और उसे अपने उदेश्य के प्राप्ति के बाद ही लौटेगा।

   यह लेख इसी बात का व्याख्या करता है कि एक मुसाफिर कैसे अपने भाग्य को बदल सकता है। उपयुक्त लेख मे मुसाफिर को राह का सही से ज्ञान नही है लेकिन हैसला बुलंद है कि वह अपने कार्य को पुर्ण करके लौटेगा। मुसाफिर का यही विश्वास उसे आगे बढ़ने के लिए प्ररित करता है और वह आगे निकल जाता है। राहो मे आने वाले बाधा से लड़ते हुए वह जो सिखता है उससे खुद को संकल्पित होता है इससे उसके कार्य संपादन मे गति आ जाती है। क्योकि उसका ध्यान और ज्ञान दोनो एक दिशा मे कार्य करने लगता है। उससे उसके कार्य उर्जा का स्तर काफी उँचा हो जाता है। उसका संकल्प उसे लगातार प्रेरित करता रहता है जिससे उसको जानकारी एकत्रित करने और उसके विश्लेषण की क्षमता का काफी विस्तार हो जाता है। व्यक्ति अंततः अपने उदेश्य मे सफल होता हुआ दिखता है।

  नयी खोज करने वाले या खुद को नयी विचार से प्रेरित करने वाले के लिए ये संदेश एक सुखद एहसास दे जाता है। उसके कार्य करने की क्षमता और कुछ नया करने की जजवा मे जो आनन्द आता है उससे उसका मनोवल काफी उँचा हो जाता है। यही विश्वास उसके विकास की पुँजी बन जाती है। वह सुख के इस मुकाम पर जो महसुस करता है वह उसे कही और नही मिल सकता है। यह काव्य लेख एक प्रेरक युक्ति के रुप मे कार्य करेगा यदि आप इसके गुणकारी भाव के साथ आगे बढ़ते है।

बहुत कुछ करने की इच्छा लेकर जब व्यक्ति आगे निकलता है तो उसे बिभिन्न प्रकार के समस्या का सामाधान करना होता है। जिस तरह समस्या को सामाधान करते हुए वह आगे बढ़ता है उससे उसके कार्य अनुभव दढ़ हो जाता है। यही दृढ़ता उसकी पुँजी बन जाती है। उसके अनंत इच्छा भी समय के साथ नियोजित हो जाता है। यह नियोजन उसको सबलता प्रदान करता है।

   एक समय ऐसा भी आता है जब उसके कार्य क्षमता और समय के साथ होने वाले प्रभाव के बिच समानजस्य स्थापित करना होता है। उसकी समझ से कार्य की दिशा मे किया जा रहा प्रयास जब एकात्म होकर एक दिशा आगे बढ़ता है तो उसके कार्य को सफल होने की गुणता बढ़ जाती है। इसी प्रयास से उसके समस्या का समाधान होना सुलभ हो जाता है। इस तरह से कार्य को करने के गुणात्मक पहलू के साथ सफलता के मुकाम को पुरा करना आसान हो जाता है।

लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु

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By sneha

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