Bhakti

आनन्द चतुर्दशी

आनन्द चतुर्दशी

आनन्द-चतुर्दशी. इसमे भगवान बिष्णु की पुजा की जाती है। भगवान बिष्णु को प्रतिपालक कहा जाता है। जिव के जिवन का यह सबसे  हमत्वपुर्ण काल होता है, उसका जन्म से मृत्यु तक का समय। इसी समय में वह अपनी कहानी का अंत कर लेता है। इस संसार में व्यवस्थित रुप से रहने के लिए कई प्रकार की वंधन, संयोग, बियोग का निर्माण किया गया है। आपको एक सफल व्यक्ति बनने के लिए सवसे उपयुक्त का चुनाव करना है, जिससे की आपका जिवन सफल हो जाय। यह कठिन कार्य है। पुर्व कर्मो के आधार पर प्राप्त आपका जिवन अपने आयामों के साथ…
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अखण्ड जाप

अखण्ड जाप

अखण्ड जाप  यूँ तो जाप करना हमेशा से लाभकारी रहा है, लेकिन समय के साथ बदलती समाजिक परिवेश ने एक कोलाहल का माहौल बना दिया है। हमारा अस्थिर मन एक समस्या का हल निकालता है, कि वह दुसरे समस्या में  उलझ जाता है। इसका बैधानिक कारण है, मन का स्वस्थ्य नहीं होना। हमारी चाहत तथा उसका समायोजन ही एक समस्या है। हम एक कार्य कर ही रहे है, कि दुसरे के प्रती हमारा ध्यानाकर्षण खिंच जाता है। हमारा नजरीया यहां भी बनने लगता है। इस तरह हम उलझते चले जाते है।           किसी एक कार्य में स्थिर रहना तथा उसके…
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गुरु पुर्णिमा

गुरु पुर्णिमा

गुरु पुर्णिमा  गुरु कि महिमा को जागृत करने के ख्याल से गुरु पुर्णिमा पर्व का स्थान र्स्वोत्तम है। गुरु की यशोगान करने से गुरुत्व का भाव जो मन मे बनता है उससे हमरी नारी का स्पंदन बढ़ने लगता है। गुरु का एक-एक वाक्य हमरे सामने से गुजरने लगता है। हमारे मार्ग के अवरोध को हटाने मे हमारे द्वारा किया गया प्रयास की मान दऩ्ड बनने लगता है। हमरा तरंगित मन हमे सचेत करता  है तथा नये उमंग के साथ कार्य को आरंम्भ करने की प्रेरणा देता है।            गुरु के सृजीत पथ पर चलकर जो हमारा कल्याण होता है उसकी…
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चौथी सावन सोमवारी

चौथी सावन सोमवारी

सावन की चौथी सोमवारी भगवान शिव को पुष्प अर्पित करते हुए मन मे जो उत्कृष्ट भाव बनता है, उस भाव को दर्शाता यह कविता हमें साधना तथा शक्ति के मार्ग को सशक्त करता है। भाव ही भगवत्व प्राप्ति का उत्तम स्त्रोत है। इसलिए भाव प्रधान यह पुजा आज पुष्प की प्रधानता को दर्शाता है। पुष्प एक बस्तु मात्र है, लेकिन इसके प्रति जो भाव मन मे बनता है, इसी से इसकी प्रधानता भक्तो के लिए अधिक है। भाव के कारण ही भगवान भक्त के करीव होते है। एक सशक्त भाव का साधक होना बहुत जरुरी है। यह भाव अनादि भी…
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आरती लक्ष्मी जी की

आरती लक्ष्मी जी की

आरती लक्ष्मी जी की लक्ष्मी माता की नवीन आरती हमें जीवन की गहराई मे जाकर जीवन के अती महत्वपुर्ण प्रसंग को उधृत करते हुए एक भाव पुर्ण आवाह्न को व्यक्त करता है। माता का साक्षात प्रकटीकरण के भाव के साथ आरती का गायन हमारे मन को तरेंगित करते हुए हमे एक लक्ष्य की आगे बढ्ने का प्रेरणा देता है। कहा जाता है कि सारे कार्यो का मूल भाव धन ही है जिससे के सारे सुखो को पाया जा सकता है, लेकिन यह पुर्ण सत्य नही जान पड़ता है। पुर्ण सत्य तो व्यक्ति का गुणात्मक मान होता है जिसका मुल्यांकन कर…
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