परोलोक

जीवन के पार चलो

जीवन के पार चलो

जीवन के पार चलो जीवन के पार देखने वाला दृष्टि पाकर व्यक्ति अहलादित हो सकता है। आन्दित हुए व्यक्ति सतमार्ग पर चलना शुरु भी कर सकता है, लेकिन उसके लक्ष्य तक पहुँचने मे आने वाली वाधा को पार जाने की शक्ति समर्थ का होना भी जरुरी है। इसका पुर्व पुर्ण ज्ञान होना संभव नही है। इसके लिए तो व्यक्ति का संकल्प शक्ति ही याचक बन सकता है। यही वो शक्ति है, जो व्यक्ति को पार जाने के लिए यथेष्ट बल को नियोजित कर बाधा से पार ले जायेगा। हमारे शरीर के अंदर बिभिन्न धटको मे बल समाहित है, जिसका यथोसमय…
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