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घुंघट की आरजू

घुंघट की आरजू

घूंघट की आरजू घुंघट की मर्यादा को निभाने के लिए बहु संकल्पित होती है जिससे की कुल-खनदान की मान-मर्यादा की रक्षा हो सके। बिचार मे द्वंद्ध होने से बिखराव होता है, खुबसुरती के आकर्षण से लगाव होता है, लेकिन घुंघट के बनाव से प्रेम भरा आशीष का योग बनता है, जो परिवार के विकास के लिए जरुरी होता है। परिवार के सभी सदस्य को अपनी सीमा मे रहकर कार्य करना होता है जिससे की विकास की धारा बहती रहै। धुंघट मे लिपटी बहु की आश बड़ी होती है क्योकि उसको एक सिमित दायरे मे काम करना होता है वांकी के…
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