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वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत    यह व्रत नारी स्वयं को सुहागन बनाये रखने के लिए करती है। सुहागन स्त्री को मानसिक तथा समाजिक दोनो स्तर पर समायोजन पति के द्वारा ही संभव होता है। नारी के मान-सम्मान की रक्षा का प्रभाव पुरुष पर ही होता है। अपने पति को समर्पित पत्नी का जीवन आशा और विश्वास के साथ आगे बढ़ता जाता है। शारीर सौन्दैर्य घटता है तथा विश्वास और टटस्थता बढ़ती जाती है। स्त्री की संवेदना अपने पती के प्रती इतना सुदृढ़ हो जाता है कि वह अपने पति के सिवाय किसी के प्रती सोचना भी पसंद नही करती है। कहते…
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मुर्ती पुजा

मुर्ती पुजा                                                      मुर्ती पुजा का इतिहास बहुत पुराना है। मानव ने जबसे जीवन को समझना शुरु किया तभी से उन्होने चित्र रुप का निरुपण किया। उसके भय को एक सहारे की जरुरत थी। यही सहारा मुर्ति के पुजा का स्थान सुनिश्चित किया। मानव के बिकाश की यात्रा का इतिहास आज के मानव को बुद्दिमान सावित करता है। लेकिन मुल बिषय डर आज भी है। डर का नियोजन समय के साथ तथा व्यक्ति दर व्यक्ति अलग - अलग होता है, तथा किया जाने वाला उपाय भी अलग होता है। लेकिन धार्मिक मान्यता हमारे अंदर जो भाव पैदा करता है, उससे…
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आरती छठी माई की

आरती छठी माई की

ठठी मईया की आरती ठठी मईया की आरती ठठी मईया की आरती छठ माई की आरती छठ मईया की आरती हमारी चेतना को जगाकर हमारे भाव को स्पष्ट रुप से चित्रण करती है। जिससे माता के साक्षात दर्शन का भान होता है। दिव्य रुप माता को अपने बिचार मे उतारना एक कठीन कार्य है। हमारे भाव की अभिव्यक्ति से एक आभा मंडल बनता है, जो हमारे चारो ओर एक बृत बनाकर हमे उर्जावान करता है। हमारे द्वारा उच्चारित शब्द हमे नियंत्रित करतें है। हमारी शब्दिक उच्च उर्जा शक्ति का जब शब्द से संचार होता है, तो दिव्य रुप माँ को…
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अखण्ड जाप

अखण्ड जाप

अखण्ड जाप   यूँ तो जाप करना हमेशा से लाभकारी रहा है, लेकिन समय के साथ बदलती समाजिक परिवेश ने एक कोलाहल का माहौल बना दिया है। हमारा अस्थिर मन एक समस्या का हल निकालता है, कि वह दुसरे समस्या में  उलझ जाता है। इसका बैधानिक कारण है, मन का स्वस्थ्य नहीं होना। हमारी चाहत तथा उसका समायोजन ही एक समस्या है। हम एक कार्य कर ही रहे है, कि दुसरे के प्रती हमारा ध्यानाकर्षण खिंच जाता है। हमारा नजरीया यहां भी बनने लगता है। इस तरह हम उलझते चले जाते है।           किसी एक कार्य में स्थिर रहना तथा…
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