मामा जी की 45 वॉ एनिवर्षरी
एनिवर्शरी को मनाने का सामान्य प्रचलन भारत मे नही है। फिर भी समय के साथ लोगो को इसमे दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। तनाव भरी जिवन के आजकल के इस दौर मे लोगो को कुछ समय मिल जाता है जब लोग सब कुछ भुलाकर अपनी एक नयी रंग मे रंग जाते है। खुशीयोँ को ताजा करने का यह चलन स्वभाविक रुप से बड़ा आनन्दायक होता है। छनभंगुर जिवन के एक-एक वर्ष की खुशीयाों का सौगात अपनो के साथ बांटनाा एक अलग ही सुखद एहसास देता है।
जिवन की नइया के पार जाते एक-एक पल को जोड़कर एक साल जब पुरा होता है तो दो अजनवी अपनी यादों को ताजा करते है। एक पल तो ऐसा लगता है कि वाकई यह एक अनुठा संयोग ही जो आज हम इस पल को जी रहे है। सबका एहसास एक जैसा नही होता इसलीए यह पल सबके लिए एक सुखद एहसास देता है। आज हम एक ऐसी कहानी की गाथा को याद कर रहे है जिनका गृह्थ जिवन के एक लम्बी यात्रा के साथ उनका राजनितिक जिवन का एक संकल्प छुपा हुआ है। राजनिति हमारे समाज का एक अभिन्न अंग है। जो व्यक्ति को समाज को समझने का एक मौका देता है।
तो हम आज मामा जि की 45 वाँ एनीवर्शरी की याद के सहारे एक व्यक्तित्व को परख रहे है। शायद हमे उनके इस प्ररुप से कुछ नया समझ आ जाय़। जय हिन्द,