25
Jan
दिदी का 26 वाँ मैरेज-एनिवर्शरी लेख जीवन के आधी पड़ाव पर यदि जीवनसाथी साथ छोड़ जाये तो आने वाले दिन का अनुमान लगाना कठीन होता है। समय के साथ जीने की काल को सिखना पड़ता है। उपलब्ध संसाधन का उपयोग करते हुए जीवन निर्वाह करना बहुत ही कठीन होता है। जीवनसाथी के गुजरने के बाद के पहले सादी के साल गिरह पर अपने बेदना को भरोसा से सवांरती एक नारी की आपबीती की कहानी को कहता यह कविता हमारे अंतःकरण को छु जाता है। मानव को यदि भविश्य का ज्ञान होता तो वह कोई न कोई जतन जरुर कर लेता…