प्यार की जरुरत सबको है, यह एक ऐसा फल हो जो व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ता है। इसके सहारे हम जावन की लम्बी यात्रा को आसानी से जीने का एहसास पाते है। प्यार को लोगो ने कलात्मकता का रुप देने की कला भी माना है। हमारी भावना को कहने के लिये हमे शब्द चाहिए तथा इनको यथा समय व्यक्त करने के लिये भी कला चाहिए।
प्यार को समझने तथा समझाने के लिये व्यक्ति के पास एक प्रारुप होता है, जो वह अपने समाज से सिखता है, तथा इसका उपयोग करने की लगातार प्रयास जारी रखता है। फिर भी उसे लगता है कि उसकी पहुँच जहाँ होनी चाहिए संभव नहीं है, तो वह कोई नयी तरकीव तलाशता है। यहांं भी इसी की एक कड़ी काव्य के रुप मे पेश है। वह समय समय पर मुझे प्यार दो की हवा चलाती है। यह वह पल होता है, जब व्यक्ति सामने वाला का मुल्यांकन करती है। इसलिए हमे ऐसे नाजुक पल मे सावधानी के साथ जवाब देना चाहिए। समाने वाले का पुरा ध्यान रखना चाहिए। अपने जवाब से पहले हमे समाने वाले के उपर एक निगाह जरुर डालना चाहिए।
पल-पल का नाजुक एहसास हमे छोटी से छोटी भावना को आहत कर सकती है। क्योंकि यदी हमारी संवेदनशीलता गहरा होगा तो एहसास भी गहरा होगा। इसलिए मेरा कहना है, कि आप अपने जवाब को बड़ी सावधानी के साथ दे तथा अपने साथी का पुरा सहयोग प्राप्त करे। यदि हमारा जवाब का मुल्यांकन संकिर्ण रहा तो यह तनाव को जन्म देगा। तनाव प्यार का दुश्मन होता है यदि आपके प्रति नाकारात्मक भाव को जन्म दे गया, तो प्यार की पुर्ण बिरक्ति सम्भव है। हमारा सीमित जवाब उसे समझने के भरपुर मौका देगा। आगे आपका साथ ही उसके विश्वास बनायेगा। जय हिन्द
नोटः- यदि यह काव्य रचना आपको अच्छा लगे तो इसके लिंक को अपनो तक जरुर भेंजे जिससे की उसका भी मार्गदर्शन हो, और आपको प्यार मिले। कॉंमेट बॉक्स मे अपनी प्रतिक्रिया जरुर लिखें।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु