
मातृ दिवस Mother’s Day
मातृ शक्ति के व्यापक प्रभाव के बारे मे सारा जगत आवगत है। इसके लगाव की शुरुआत खुद की सुरक्षा तथा नव जीवन की संकलप्ना से जुड़ी होती है। नव जीवन के आने से पहले की उत्सुकता तथा नव जीवन को धारण करने के बाद की उत्कसुकता के साथ पल – पल के यादो को संयोता मातृ शक्ति अपनी पुरी प्रकाष्ठा को पा जाता है। नव जीवन के सृजन के साथ उसके पुरे विकाश यात्रा से जो मातृ शक्ति का लगाव होता है उससे नव जीवन को सजने सबरने का अनूठा योग प्राप्त होता है। इसके साथ ही जीवन के विभिन्न पहलूओ के साथ संसार को समझने का पुरा योग प्राप्त होता है।
एक सफल जीवन जीने के लिए हमे प्राकृत के विभिन्न पहलुओं के समझकर उसका उपयोग करना होता है। मातृ शक्ति हमें इसमे सबारने और निखारने का अनुठा योग देती है। जीवन कर्म से प्रभावित जुरुर होता है लेकिन कर्म के उपयोग के समझने तक की यात्रा इन्ही के प्रभाव मे रहकर समझना होता है। अपने कर्म के हर पहलू के साथ हमारे जन्म के मुल स्वभाव का प्रभाव दिखता है। संस्कार का निर्माण भी यही से होता है। जिससे हमारे जीवन को शक्ति संपन्न होने मे पुरा विश्वास प्राप्त होता है।
जीवन के साथ भी और जीवन के बाद भी हमे बिभिन्न प्रकार के शक्ति के प्रभाव को समझना होता है। इसम मातृ शक्ति को समझना आसान होता है। इसकी ममता इसके भावो को सरल और आनुग्रहनीय बना देती है। इसके अंदर जो समझने की शक्ति होती है वो किसी और शक्ति से ज्यादा भावपुर्ण होती है। नियम के लचीलापन के साथ हम आसाने से नियम के कठोरतम प्रभाव तक पहुँच जाते है। कई बार हमे जीने के जिद्द के तहत यदी किसी गलत रास्ते पर होते है तो हमारा मातृ शक्ति के साथ के बावजूद हमे लगातार एक प्रभाव मे रहना होता है जो हमे सही रासते पर लाने के लिए हमे लगातार प्रेरित करते रहता है। यह ब्रह्य बल हमारे आंतरिक गुणता को सही स्वरुप बनने मे मददगार सावित होता है।
दिव्य स्परुप हो या चेतना के गहरी अनुभुती हमे या फिर हमारे उच्चश्रृख होने के बाद हमारे व्यवहार सभी जगह हमे मातृ शक्ति अपनी ज्ञानदायनी व्यवहार के साथ जोड़कर हमारा मार्गदर्शन करते रहती है। जिससे हमे अपने जीवन के उदेश्य को प्राप्त करने मे काफी सहुलियत प्राप्त होती है। आज मदर्श डे यानी मातृ दिवस है। आज के दिन माता के बिभिन्न स्वरुपो और उसके योगदान को हमे याद करते हुए उसके उचीत मम्मान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध होना है जिससे की उसके सम्मान की रक्षा मे कोई आंच न आवे।
ज्ञान की वहती धारा के साथ हमे व्यवहार के बिभिन्न स्परुप को समझकर आगे बढ़ना होता है। यहीं के कई दुष्ट ताकतो का प्रभाव परने से व्यहारिक जीवन मे परेशानी होने लगती है। इसके साथ हमे दृढ़ता से साथ खड़ा होता है। इस भाव और व्यवहार से साथ ही एक सशक्त समाज का निर्माण होता है। जीसमे जीवन जीने के अनुकुलता के सारे गुण विधमान होते है।
आज हम मातृ दिवस के प्रति अपनी पुरी निष्ठा को व्यक्त करते हुए एक उन्नत और समृध समाज के निर्माण मे अपना पुर्ण योगदान दे और मातृ शक्ति को नमन करते हुए उसके सम्मान की रक्षा के लिए पुरी निष्ठा के साथ जुड़े रहे।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
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