ऑपरेशन सेन्दूर

भारतिय सेना के द्वारा चलाया गया यह एक अभियान है जिसमे सिंदुर को मिटाने वाले को डंडित किये जाने तथा सबक सिखाने को लेकरके एक सशक्त योजना को अंजान दिया गया है। इस साहसिक घटना से भारतीय समाज मे विश्वास और निष्ठा के प्रति लगाव मे उतरोत्तर विकाश हुआ है।
जीवन मे सतत ही संधर्ष का वोलबला रहा है। संधर्ष को करते हुए हम जो सिखते है वह हमारी पुँजी होती है। एक तरह के विचाधारा के साथ हम जीवन मे आगे बढ़ते जाते है। यही हमारी यश, किर्ती गाथा को सबलता प्रदान करती है। हमारे विचार के साथ भलेही कोई विश्वास नही रखता हो लेकिन हमारे विचार के साथ हमे दवाव बनाकर दुसरे तरह के विचार मे ढ़ालना के लिए मजबुर करना गलत है।
भय और तकत के बल पर जब कोसी विचार को प्रतिरोपित किया जाता है तो उसका बिरोध होना जरुरी है। स्वयं मे सबलता के साथ प्रतिकार करके जीवन मे उतकृष्ता को पाना हामारा लक्ष्य होना चाहिए जिससे की हम यश और अपनी कृर्ति को बचा सके तथा स्वयं के अंदर एक खुशी के पल को संचालित कर सके।
इन्ही विचारो को उच्चता प्रदान करने के लिए दुश्मन को सबक सिखाना जरुरी हो गया था। जिस तरह से इस अभियान को पुरा किया गया उससे सेना के शौर्य की तारीफ हो रही है। आज के सफलता को पाने के लिए राष्ट्रीय और अंतररांष्टीय स्तर पर लम्बे अरसे से प्रयास किया जा रहा था। राजनैतिक तथा वैश्विक समायोजन के साथ स्वयं को सशक्त करने के लिए बहुत पहले से कार्य किया जा रहा था। जिससे की समय आने पर सबका सहयोग प्राप्त हो सका तथा दुश्मन को अलग थलग किया जा सके। ऐसा हुआ भी है।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
संवंधित लेख को जरुर पढ़ेः-
- युवा अवस्था आने पर जीवन के हर मोड़ पर एक चुनौती का समना करना परता है।
- हर युद्ध का अपना एक धर्म होता है जिससे की उसके परिमाण को समझा जा सकता है।