युवा और युद्द

युवा होने के साथ ही अंदर की हलचल और बाहर की उथल-पुथल के साथ जीवन को उच्च स्तर से जीने की चुनौती का सामना करना होता है। इसको सही तरह से हल करने के लिए समाज मे स्थापित परंपरा के साथ हमे चलना होता है साथ ही हमे नये संभावना भी तलासने होते है। कुछ नया करने के धनी लोग विभिन्न तरह के विचारो के साथ स्वयं को स्थापित करने की कोशिश मे कुछ सफल हो जाते है तो कुछ असफल होकर एक प्रश्न को जन्म दे जाते है। समय के साथ जीवन को समुन्त करने के लिए संधर्ष तो हमे करना ही होता है इसका चुनाव एक बार कर लेने के बाद हमे आगे चलना होता है जो हमारे व्यवहार को परिवर्धित करते रहता है। यह आंतरिक युद्द होता है जिससे हमे लगातार उर्जावान बने रहने के लिए बाहरी हलचल के साथ नवाचार होकर आगे जाना होता है। यही समय होता है जिसमे हम अपने उत्तम सुझबुझ के सहारे जीवन को एक नयी उचाई दे पाते है, लेकिन जो भावना मे बहकर भटक जाते है वो अपनी अधुरी कहानी को आगे ले जाकर सिखने की उत्कंठा भी बनी रहती है इसके लिए उसके अतंत यात्रा का मार्ग खुला होता है।

      युद्ध का अपना एक नियम होता है इसमे बंधकर जो आगे बढ़ते है वह समाज के लिए प्रेरक बनकर उभरते है लेकिन जो सिर्फ जीत के लिए किसी भी हठकन्धे का उपयोग करते है वह समाज के उपेक्षा का शिकार हो जाते है। यही पर मार्गदर्शक का विचार जरुरी होता है। मार्गदर्शक के पास व्यक्ति को समझने की कला होती है जिसके सहारे वह व्यक्ति का मुल्यांकन कर लेता है फिर वह समय और परिस्थिती के हिसाब से अपने विचार का सम्प्रेसण करते है। यहां भी हमारे पास विकल्प होता है लेकिन चुनाव का भी आधिकार हमारा होता है। यदि हम उन्मादी विचार मे आकर कोई निर्णय लेते है तो उसके परिणाम के साथ हमे आगे जाना होता है।

    हमारा जीवन हमेे अपने आत्मा को शक्तिशाली बनाने हेतु मिला है इसके निरुपण के लिए हमारा जो प्रयास है वह यथेष्ठ होना जरुरी है, इसके लिए हमे सतत प्रयासरत रहना चाहिए। इसके लिए सही गुरु का चुनाव जरुरी है जो हमारा मार्गदर्शक बनकर हमारे कल्याण का मार्ग प्रसस्त करे। युद्द के दौरान हमारे हर गुण कौशल की परीक्षा होती है और फिर हमको एक सिख मिलती है जो जीवन काल के अनुभव का हिस्सा होता है। इस तरह के भावनात्मक गहराई का एहसास हमारा आंतरीक होता है जिसके संचार से हमारा जीवन परिभाषित होता है। यही परिभाषा हमारे आत्मिक शक्ति के साथ जुड़कर आगे के जीवन यात्रा को चित्रित करता हुआ हमे कर्म पथ पर आगे ले जाता है।

   जीवन को यदि जीतना हो तो पहले अपना एक लक्ष्य को चुने और फिर गुरु का चुनाव करे फिर आगे बढ़ने के लिए जीवन के साऱे अन्य विचार को सहयोगी माने और अपने कार्य मे लग जाये। हमारे द्वारा किया जाने वाला कार्य हमारे मनोयोग को सुत्रबद्द करता रहेगा और हम नयी उर्जा को हासील करते हुए आगे निकलते जायेंगे। जीवन यात्रा का ये अंत हमारे लिए सुखदायी होगा क्योकी हमने गुरु का चुनाव कर लिया था। आनेवाले जीवन मे हमको फिर से गुरु के चुनाव का जब भी मौका आयेगा हम एक सजग और योगपुर्ण राही बनकर आगे जायेगें और जीवन के युद्द को जीतकर एक सफल व्यक्तित्व का निर्माण करते हुए जीवन मुक्ति के आनन्द का अनुभव करेंगे।

   बन्धुगण हमारे पास यदि साधना नही है तो साधन सिमित होते है जिससे की हमारा चुनाव भी सिमित होता है यदि साधना है तो साधन की वहुलता दिखाई परती है और सफलता का सुत्र मजबुत होता है साथ ही परोपकारी और संतोषप्रद भी होता है। इसलिए साधना को अपना मार्ग बनाये और साधक बनकर जीवन के युद्द को जीते चाहे वह जीवन के कोई भी आयाम हो।

लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु

महत्वपुर्ण तथ्य

  • साधक बने।
  • गुरु का चुनाव करे।
  • कर्म कौशल के साथ कार्य करें।
  • भौतिक जिजीविषा से दुर रहे।
  • आंतरिक तन्मयता जरुरी है।
  • बाहर के उथल-पुथल से चेतना को जगाये।
  • अभ्यास ओजपुर्ण और सार्थक होना चाहिए।

लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु

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By sneha

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