19
Feb
समय एवं परिस्थिति के साथ शारीरिक बिन्यास के अनुरुप व्यक्ति का जब समायोजन होता है तो उसका मानसिक अवेग भी एक महत्वपुर्ण भूमिका अदा करता है। इसके बाद व्यक्ति स्वयं को स्थापित करता है। यूँ तो समायोजन का कार्य निरंतर चलता रहता है। लेकिन एक मुकाम पर पहुँच जाने के बाद व्यक्ति का बहुत कुछ नियोजित होकर स्थायित्व कि ओर बढ़ने लगता है। एक अवस्था से दुसरे अवस्था (यानि किशोरावस्था से युवावस्था यथा) मे प्रवेश करने पर ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ता है। प्रकृति के नियम के अनुरुप स्वतंत्र रहने वाले हर वस्तु को अपने संयुक्त होने की शर्तों…