16
Feb
जन्मदिन के बधाई को बिचारोंं मे संग्रहित करना कठिन है। फिर भी एक रेखा तो खिंचनी होती है जिससे कि पथिक के आने वाले समय के बारे मे विश्वास तथा आशा बन्ध सके। वैसे तो विवेकी मानव स्वयं ही गुणित बिचारधारा मे उलझा रहता है। नित होने वाले परिवर्तन से उसको सामना करना पड़ता है। इसके बाद भी उसका निर्धारित लक्ष्य के तरफ बढ़ना यदि सतत जारी है तो उसे कर्मयोगी कह सकते है। कार्मयोगी का अपना विश्वास ही उसका सबसे बड़ा हथियार होता है, जिससे की वह अपने कर्म पथ को रौशन करता जाता है। आपका मार्ग शरीर से…