फिदाईन हमला

फिदाईन हमला

फिदाईन हमला

आधुनिक दुनिया मे जब हथियारों की होर लगी है। लोग हथियार के अलग अलग रुप तैयार कर रहे है, जिससे की अचुक निशाना लगाया जाय तथा सफलता को सुनिश्चित किया जा सके। रोज हो रहे अनुसंधान ने एक अलग ही कौतुहल पैदा कर दिया है। साथ ही इस आधुनिक हथियार से सुरक्षा की तैयारी भी कि जा रही है। लेकिन एक परम्परागत हथियार का इस्तेमाल सबको चौका देता है। यह है मानविय विश्वास से आधात यानी फिदाईन हमला।

इस प्रक्रिया के तहत विश्वास की पुरी प्रणाली का गहन अध्ययन किया जाता है। तत पश्चात हमला करने वाले तथा हमला के शिकार होने वाले दोनो की प्रकृति का भी अध्ययन किया जाता है। इसके बाद इस कला के निपुन व्यक्ति की कार्यवाही शुरु होती है। पहले पक्ष और विपक्ष दोनो की प्रक्रिया की जानकारी को शेयर किया जाता है। जिससे की विरोध की आवाज प्रखर हो। जब विरोधी आवाज की प्रखरता बढ़ जाती है। तो इसकी प्रमाणिकता की जांच की जांच की जाती है।

बिभिन्न स्त्रो से जानकारी के विश्लेषण की व्यख्या करने तथा एक खास तरह के लोगो के मनोवृति को समझने के बाद अनुमान आधारित यह व्याख्या किया जा रहा है। हमने देखा है कि हमारे समाज मे कुछ ऐसे लोग है जो किसी भी घटना की सिमित जानकारी रखते है तथा इसके लिए अपने सिमित संसाधन पर ही निर्भर रहते है। उनके पास तर्क बितर्क करने का अपना एक गणित होता है। जब उत्तर देने वाला व्यक्ति निरुत्तर हो जाता है, तो उसके पास अपना लक्ष्य के साधन के सिवाय कुछ नही रहता है। जिस परिवेश मे वह पला बढ़ा तथा जो उसने सिखा, उसी का बिचारधारा उसमे प्रवाहित होने लगता है।

मस्तिष्क हैकर की कलात्मक भाव को समझना एक पहेली से कम नही है। लेकिन अंतोगत्वा वह अपने मिशन के लिए हमलावर को तैयार कर लेता है। तैयार हमलावर अपने मिशन को अंजाम दे देता है। इसके बाद शुरु होती है घटना की व्यख्या। जैसा की हमने कहा है कि हर हथियार से सुरक्षा का तरीका विशेषज्ञो द्वारा खोज किया जाता है तो यह प्रक्रिया यहां भी चलता है।

हमले मे हुए नुकसान तथा घटना की वारीकी व्यख्या के बाद तो तर्क उभर कर आता है वह एक तनाव पैदा करता है, कि इसका हल कैसे निकाला जाय। कई देशो ने मानविय विश्वास से निपटने के लिए गहन सर्च की प्रक्रिया को अपनाया है। कुछ देशो ने खास तरह के परिधान पर प्रतिबन्ध लगाया है। हमला से जुरे लोगो को गहरी निगरानी मे रखा जाता है।

यह तनाव का प्रक्रिया एक युद्द को जन्म देता है। क्योकि अंत तो छुपकर हमला से नही वल्कि युद्द के मैदान मे होता आया है। आज भी यही हो रहा है। तो हम कहे कि एक चुनैती के प्रति सतर्कता मानव के प्रति विश्वास की निव हिला जाता है तो गलत नही होगा। जिस विश्वास को बनने मे काफी समय लगता है उसे टुटने मे देर नही लगती है। गुनहगार तो वही लोग माने जाते है जो एक खास बिचार के बिरोधी होते है। कहा जाता है कि बिरोध से तनाव का जन्म होता है। तनाव के बिवाद वढ़ने लगता है। इसके बाद क्रोध का जन्म होता है। क्रोध से धृणा का भाव आता है। और धृणा का भाव प्रतिद्वन्दी के प्रती सम्मान के भाव को समाप्त कर देता है। मानव के सर्वशक्तिमान बनने की सोच ही हिंसा को जन्म देता है। यौ कहे तो ज्ञान की सिमा के बाहर हिंसा ही एक मात्र उपाय है जिससे बिरोध को एक लम्बे समय तक टाला जा सके। क्योकि बिरोध को भी समाज मे स्थापित होना है और इसका भी प्रकृति के दवारा समायोजन होना होता है। वदलाव और बिकाश की धारा यही से निकलती है।

जीवन जीने की आकांक्षा, परिवार की जिम्मेदारी, मौत का भय आदि बिचार को समाप्त होने मे एक लम्बा समय लगता है। अच्छा तो यही हो कि मानवता की रक्षा हर हाल मे की जाय। विरोध के तरीके को मानवी भरोसा को नही रखा जाय। हम जहां है वही से अपने को प्रकृति को समझने मे लग जाये जिससे कि समस्त जीव का कल्याण हो। गीता मे कहा गया है कि स्वार्थ की सोच से तो पाप की राह निकलती है और यह कल्याण का मार्ग नही है।

हे मानव आप प्रकृति की अनुपम भेंट हो। खुद को समझो तथा प्रकृति को समझने की कोशिश करो। आपका यही अभियान आपको महानता की ओर आगे ले जायेगा। जिससे की आप व्यक्तिगत रुप से मुक्त हो जाओगे। मृत्यू समस्या का हल नही है यह तो एक पराव है, समझना तो आपको परेगा ही क्योकि आपके दिव्य यात्रा का मुल्यांकन होगा उसी के अनुरुप आपको अगला जन्म मिलेगा, जिससे की आप प्रकृति को समझ सके। जीवो की तो अपार श्रिखला रोज चलती रहती है। कभी खुद से बाहर निकलकर इनको देखो जो अपनी जीवन को कैसे सवांरते है। यदि ऐसा संभव हो गया तो तुम्हारा कल्याण होगा। जीवन का फलाफल इतिहास की धरोहर है। इसे समझो यह हर युग की व्यख्या करना जानता है। मानव ईश्वर की अंतिम प्रारुप है। अपने मे उनको खोजो तुम्हे वह जरुर मिलेंगे। आपके इस खोज मे हम आपके मददगार है। कैसे तो आप हमारा काव्य लेख पढ़ते रहे। आप कामयाव होगे। आपका जय हो। बिजय हो। आप मुक्त हो। यह हिन्द।

लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु

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By sneha

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