दोस्त हमारे जीवन यात्रा का साथी है। हम कही न कही अनजानेपन महसुस करते है। वहां जो हमे सहारा मिलता है, उसे हम दोस्ती की संज्ञा देते है। समय के साथ परिवर्तत होने वाला यह रिस्ता यादगार रहता है। दोस्ती के कई आयाम है लेकिन नाम एक है। निहित स्वार्थ से भी दोस्ती होती है और निःस्वार्थ से भी। दोस्ती करने वाले की भावना प्रधान यह रिस्ता अपनी गाथा खुद गाता है। कुछ दोस्ती ऐसी जो इतिहासिक है, जिसका उपमा हम आज भी देते है।
दोस्त ऐसा मिले जो आपके बिचार का हो तो अच्छा चलता है। लम्बे समय तक बिचार का आदान प्रदान होता रहता है। एक दुसरे के दर्द को समझने तथा समझाने का एक मौका मिलता है। समय के साथ आगे निकलने पर भी दोस्ती बनी रहती है भलेही एक दुसरे से मिलने जुलने का क्रम लम्बा हो । दोस्त से अच्छा मार्गदर्शक किसी को नही माना गया है। कहा जाता है कि निःस्वार्थ बिचारवान दोस्त किस्मत वालो को ही मिलता है। जिसने दिस्ती निभा दी, उसकी मिशाल भी दी जाती है।
दोस्ती की तरलता को तौलने के लिए समय का मनडंड बड़ा ही गुणकारी होता है। बिचार तथा व्यवहार के पटल पर जब सही उतरता है तो यह दोस्ती सफलता के नये मिशाल भी बनाता है। विलक्षण प्रतिभा के धनी लोग आगे बढ़ने के लिए बखुवी इसका उपयोग करते है। क्योंकी एक दुसरे को समझने तथा बिचार के अदान प्रदान करने का एक व्यहारिक मंच बन जाता है। जिससे बिचार की सुदृढ़ता बनी रहती है। सावधानी तो सभी जगह जरुरी होता है लेकिन बिस्वास की जिस कसौटी से दिस्ती गुजरता है वह तो अद्वीतीय है ही।
आज राष्ट्र को एक ऐसे दोस्त की जरुरत है, जो बिश्वास के साथ-साथ हमारा साथ भी दे। हमारा संकल्प हमारी शक्ति बनकर उभर रहा है। एक संदेश हमारे राष्ट्रीये बिचार का जो फैला है, उसे कई हाथ दिस्ती के मिले है। तृतिये विश्व युद्ध के इस दौर मे यह एक प्रमुख भुमिका निभा रहा है। वैस्यविक चुनौती से निपटने के लिए आज दोस्ती की बिस्वास को भी नये सिरे से परिभाषित करते हुए आगे के कदम बढ़ाये जा रहे है।
गुणकारी बिचार के आदन-प्रदान के साथ ही नये उम्मीद को पाने के लिए जो यथेष्ट प्रयास किये जाते है उसमे भरोसा को जताने के लिए हमे अपने करीव के सहयोगी की जरुरत होती है और उसमे दोस्ती का स्थान सबसे उपर आता है। हमे आज की गम्भीर चुनौती को सामने करने के लिए जो बिस्वास मिला है वह हमारी दोस्ती के दारये के बढ़ने के साथ हमारी विस्वास को भी सुदृढ़ करता है। आइये नये समाज को बनने के लिए अपने दोस्ती के दायरे को बढ़ाते हुए एक कल्याणकारी बिश्व के निर्माण की ओर अपना कदम बढ़ावे।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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1.पल दो पल का साथ हमारी भावना को एक जो सुदृढ़ता प्रदान करता है उससे दोस्ती की नीव पड़ती है, पर इसको समझ कर आगे चलना होता है।
2.यादो का सफर बड़ा ही सुहाना होता है इसे समय के साथ याद करके आगे के राह बनाना होता है। तो आइये कुछ बिचार को आगे बढ़ाये।
3. दोस्त को श्रधांजली देते हुए हम उस समय को यादों मे खो जाते है जब आपसी बिश्वास के साथ काम आसान लगता था।