आजादी के अमृत महोत्सव
आज हम आजादी के 76 वें वर्ष में है। स्वतंत्र भारत के 75 वर्ष भारतीय समाज को पुर्गठण में एक महत्वपुर्ण भुमिका निभाया है। लम्बी गुलामी के कारण हमें कुंठीत मानसिकता से बाहर निकलने मे हमारे समाज को काफी संधर्ष करना पड़ा है। अब जागरुकता का नया दौर आया है। हम राष्ट्रिय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानडंड को समझकर अपनी प्रतिक्रिया देने लगे है। यही से हमारा भाग्योदय का सुरज भी उपर जढ़ने लगा है।
हमारी बढ़ती प्रखरता के साथ हमारी चुनौती भी बढ़ा है इसके साथ हमारी चेतना भी जागृत हुई है। अब हम चुनौती को सबलता तथा समय के साथ साधने मे सक्षम है। इससे हमारी गौरव गाथा की चर्चा भी स्वतः ही होने लगी है। इस बिषयों से हमारा आत्मबल और सुदृढ़ हुआ है। हमें अभी भी बहुत कुछ करने की चुनौती हैं, लेकिन समय के साथ चलने की हमारा संकल्प हमे यठेष्ट बना रहा है। जिससे हम उर्जावान होकर वर्तमान चुनौती का मुकाबला कर रहे है।
आज का वैश्विक राजनीति हमें एक दिशा तय करने की चुनौती दे रहा है। लेकिन हम अपनी पराक्रम और संसाधन के अनुरुप ही अपना पाठ चुनकर उसकी पुर्णाता तक पहुँचकर आगे की ओर बढ़ रहे है। इसकी सराहना भी की जा रही है। हम अपनी हर कमजोर पहलु को समझकर उसका यथोचित उपाय से निदान निकालकर सह्रदय भाव से प्रेरित होते हुए अपने पुर्णता की ओर जा रहे है।
आज हमें ऐ एहसास हो रहा है कि आंतरीक और वाहरी ताकतें किस तरह हमे लगातार अवनती की ओर ले जाने की कोशीश कर रहा है। इसको सख्ती से निपटने की हमारी दृढ़ता से हमारा सौभाग्य के रास्ते खुलने लगे है। हम दुसरे को भी आगे निकलने मे मददगार साबित हो रहे है।
आर्थिक, राजनैतिक, समाजिक, प्रशासनिक, बैज्ञानिक तथा शैक्षनिक स्तर पर हो रहे व्यापक सुधार के कारण गंभीर चुनैति के प्रति हमारा व्यवहार सकारात्मक बनता जा रहा है। स्पेस के साथ सैनिक साजोसमान मे हमारी निर्भरता भी बढ़ता जा रही है। इस अमृत महोत्सव से हम संकल्पित होने जा रहे है कि कभी भी अपने पुर्ण पतन को स्वीकार नही करेंगे। चाहे इसके लिए हमे कोई भी किमत चुकानी पड़े।
स्वास्थ्य आपदा से लड़ते हए दुश्मन को उसकी हद मे रहने की सिख, हमने दी है। हमारे सिमित संसाधन के बाबजुद हमारी तैयारी से दुश्मन हमें समझने मे लगा है। हम उसकी समझ मे नही आयेंगे ये हम अपने अमृत महोत्सव के आयोजन से जता भी रहे है। हर धर तिरंगा अभियान राष्ट्रिय एकता को नविकृत करने का एक शंखनदा ने हमें स्वयं को समझने का एक ताकत दिया है। ऐ अमृत बिचार आज सबमे दौर रहा है जिससे राष्ट्र के प्रती सर्वस्व न्योछावर का भाव प्रज्वलित हो रहा है।
हे मातृभुमी आज हम अपने 75 वें स्वतंत्रता दिवस को अमुत महोत्सव के रुप मे मना रहे है। हम अपने चहुँमुखी बिकास के लिए संकल्पित हो रहे है। जो हो चुका, जो हो रहा है और जो होनेवाला है इसकी उत्तरदायित्व को समझते हुए सतत बिकास के प्रति हम अपनी संकल्प व्यक्त करते है। जिस अमृत बिचार को अपना कर हम आगे बढ़ रहे है उसमे कमी न आये इसके लिए हमे जगाते रहना। जच हिन्द।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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