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हौसला चाहिए

हौसला चाहिए

     हौसला हासिल करने के लिए व्यक्ति को स्वयं के अंदर विश्वास पैदा करना परता है। इसके लिए हर छोटी सी छोटी बात को पुरा विश्वास के साथ करते हुए आगे बढ़ने की जरुरत होती है जिससे की किन्तू परंतु का कोई प्रश्न नही रहना चाहिए। हर कार्य को करने के लिए कार्य उत्साह के साथ योजनावद्ध तरीके से कार्य करने की ततपरता के मद्देनजर कार्य की समुचित ज्ञान होने से हौसला बनने मे देर नही लगती है। हल्की सी प्रत्साहन कार्य शक्ति को जागृत कर देती है। कार्यानुमुख होने के लिए जो निशा-निर्देश मिलते ही व्यक्ति सक्रिय हो जाता है।

   कई बार कई तरह की आशंका का समुचित निदान नही होता है और हम उसके कारण उलझे रहते है। यदि इस उलझन का समाधान हो जाता है तो हमारी कार्य उत्साह जागृत होकर हमारी हौसला को बढ़ा देती है। जबतक हौसला बना रहता है तबतक कार्य बडे ही उत्साह के साथ संपादित होते रहता है। कार्य के प्रति कोई नाकारात्सक सोच यदी आ जाय तो कार्य विश्वास कम हो जाता है जिससे की हौसला भी कम होने लगती है। कार्य विस्वास यदी बढ़ जाता है तो हैसला भी बढ़ा हुआ नजर आता है।

   जीवन की गंभीर चुनौतीयों का सामना करते हुए हम बहुत कुछ सीख लेते है। इन्ही सिख का उपयोग हम कार्य को सही तरह से करने के प्रति आश्वस्त रहते है। यही कार्य किसी जानकार या गुरु के देख रेख मे भी होता है जिससे की कार्य करने का हैसला बढ़ जाता है। कार्य मे समय धन तथा ज्ञान की जरुरत होती है। इसका सही से उपयोग ही हमारे हौसला को बढ़ा देता है।

  हनुमान जी को लंका जाने के लिए उनके साथी ने हौसला अफजाई किया जिससे हनुमान जी समुद्र को पार करके लंका पहुँत गये। अर्जुन जो महाभारत के युद्ध मे आशंका से धिर गये थे उसके अशंका को कृष्ण ने दुर कर दिया जिससे उसके हौसला को अपजाई किया। इसी कारण अर्जून ने युद्ध को जीत लिया। हौसला को बढाने के लिए खुद के द्वारा किया गया समुचित प्रयास ही हौसला को बढाने उपयोक्त साधन होता है जिससे की सफलता को प्राप्त करने की विश्वास बढ़ जाता है।

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  • उलझन को सुलझाने के बाद ही कार्य का आनंद आता है।

By sneha

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