आत्मज्ञान

तप और ज्ञान

तप और ज्ञान

तप और ज्ञान तप और ज्ञान संयम से शारीरिक नियंत्रण को समझते हुए कठिन से कठिन भाव को समझने के लिए तप करना होता है। जिससे एक स्थाई विचार के साथ संस्कार का विकास हो जाता है। इससे ज्ञान को अर्जन करने में आसानी होती है। ज्ञानी होने से ही हमारे दुख का अंत होता है। क्योंकि कठिनाई में ज्ञान हमे अगला रास्ता दिखा देता है। तप करने की प्रेरणा जगाना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि भौतिक जीवन के सुखद एहसास के पार जाना आसान नहीं है। जाकर भी संकल्प को पूरा करना और कठिन है। इसके बाद…
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