तीसरा सोमवारी

तीसरा सोमवारी

भगवान भोलेनाथ को जल प्यारा है। जल जीवन का आधार है। जल की शीलता से मन को शांती देता है। गुणकारी जल को जल भगवान को अर्पण किया जाता है तो मन के अंदर जो भाव बनते है उसका प्रतिविम्ब हमारे जीवन पर परता है। इसी भाव को इस काव्य लेख मे दर्शाया गया है। जल के गुणकारी भाव को समझकर जीवन को सुधारने का जो प्रण लिया जाता है उससे जीवन के एक नयी रोशनी मिलती है। इसके बाद हमारे आनेवाले चुनौती को सामना करने का तकत बढ़ जाता है।

भाव ही वह तथ्य है जो हमारे जीवन को कुछ करने के लिए सदा प्रेरित करते रहता है। इसको हमेशा सुदृढ़ करने के प्रयास करने परते है। जीवन मे उत्पन्न होने वाले वाधा से जो हमे सिख मिलता है उसका नवीकरऩ यहां से हो जाता है। एक समग्र चिंतन का भाव जीवन के सही तरह से सथापित करने मे मदद करता है।

पावन गंगा को धरा पर लाने के प्रती जो भाव हमारे जनमानस मे है उससे जीव के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ है वह आज जीवन को एक उँचाई देता है। इस तरह के सोच आज के भोगवादी समाज को एक दुसरे से जुड़ने का माध्यम बनाता है। हमारे अंदर त्याग के भाव सेवा के भाव से जिस समाज का निर्माण हुआ है और जिस चुनौती को सामना होना है उसके लिए इस तरह के भाव का होना जरुरी है।

लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु

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By sneha

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