लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि
गुण कौशल की प्रखरता जब अपने मुकाम तक पहुँचती है, तो वह गुण धारक को रौशन कर देती हैैैै। उनका यात्रा बृतांत एक यादगार पल बन जाता है। असफल लोग या संधर्षरत लोगो को इस तरह के बिचार की बहुत जरुरत होती है, जिससे की उनकी कार्य उर्जा का प्रवाह बना रहे। मन कि दुर्वलता को दुर करने का यह एक शसक्त जरीया होता है। भारत के बौधिक सम्पदा मे इस तरह के अनेको उदाहरण मिलते है। समय की बली बेदी पर बनते बिगरते जीवन की दिव्य लिला को करिव से अऩुभव करने का एक संयोग ही होता है, जिसमे यह गुण है की वह खुद अपने जीवन के आरपार देख सकता है। उनमे समय के साथ लड़ने की अदभुद क्षमता का बिकाश हो जाता है।
ऐसी ही एक गाथा का यशोगान हम कर रहे है। बचपन के दिन के संगीत के सक्रिय माहौल का जो गुण लता जी को उद्वेलित किया वह उनके साथ सदा ही जुड़ी रही। संगीत के भाव को प्रस्थापित देख लता जी के परिवार ने उनका भरपुर साथ दिया। अपने आपको निखारने मे लगने वाला कार्य वल उनका व्यक्तिगत धड़ोहर था, जिसके सहारे वह अपने मुकाम तक पहुँच गयी। समय के साथ स्वयं को वदलना भी पड़ता है लेकिन लक्ष्य के साथ समझैता नही होना हमे लता के इस आशातीत सफलता से ज्ञान मिलता है। उनकी लम्बी यात्रा मे गायकी के कई दौर आये गये लेकिन खुद को खड़ा रखने के लिए जो उनका प्रयास था वह उनके गायकी मे दिखता है। ढ़लती उम्र वढ़ती चुनैती के साथ अपने को सही लक्ष्य पर स्थापित करना एक कला है, लता जी इस कला के धनी थी।
आज का श्रद्धांजलि उनके शरीर के यात्रा का एक पराव के लिए है जिसे वह प्राकृत के साथ साझा की है। वास्तविक जीवन तो वह है जिसे उसने जिया है और लोगो को जीना सिखाया है। भारत के इस गायिका को बिदेशो मे भी खुब सराहा गया। हर भारतवासी को इस तरह के कार्य से सदा गर्व महसुस होता रहेगा।
हे जीवन पथ के राही एक दिन तो सबको जाना ही है। इसलिए साधना का एक मार्ग चुनो और उसपर तबतक लगे रहो जबतक तुम्हे आत्म संतुष्टि न हो जाय। क्योकि यही तुम्हारा मुक्ति मार्ग है। क्योकि तुम यही पाने निकले हो। इस प्रप्ति के बाद तुम्हे फिर से मुल्यांकन का मौका मिलेगा तब तुम्हारा पथगमन मार्ग तुम्हे बहुत कुछ सिखला जायेगा। अगर इस बिच मे ही भटक गये तो इस भ्रम के साथ जीना पड़ेगा की जीवन आखिर है क्या। अपने सवाल के जवाव तुम्हे खुद ही निकलना है। इसलिए आज ही कर्तव्यनिष्ठ होकर अपने काम मे लग जाओ। यदि प्रेरित होना हो तो लता जी की जीवन यात्रा भी तुम्हारा मार्गदर्शक हो सकता है। तुम्हारा सतत कल्याण हो इसकी हम कामना करते है। जय हिन्द।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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