बधाई देने का अपना ही महत्व होता है। इसके आनन्द की तुलना कर पना संभव नही है क्योकी यह व्यक्ति पर निर्भर करता है। बधाई स्विकार किया जाना भी देने वाले के प्रति लगाव को व्यक्त करता है। आजकल का दौर सुनकर या देखकर शांत रहने का है। जिसका परिणाम यह होता है की लोगो के बिच बैचारीक दुरी बढ़ती जा रही है। बैचारिक दुरी को कम करने के लिए यह संदेश एक उद्वीपन का कार्य करेगा। जिस भाव को हम स्वतः स्फुर्त तरीके से समझ सकते है उसका एक अलग रुप आपको रोमांचित करेगा। इसलिए इसके भाव को समझ कर एक बिचार को सम्पादित करना तो बनता है। कहा जाता है की जीवन महसूस करने का ही नाम है। यह एहसास ही न हो तो सब बेकार है। भावपुर्ण बस्तु को मुल्यांकन करना बेहद कठिन होता है।
शादी मे सर्वेत्तम की खोज करते – करते द्रोप्दी को महाभारत काल मे पांच गुण सम्पन्न पांच व्यक्ति से शादी करना पड़ा था। यह भारतीय संस्कृति के बहुआमी भाव के सम्पन्नता को दर्शाता है। लेकिन व्यवहार मे आज भी प्रभु श्री राम मर्यादापुरुशोत्तम के रुप मे पुजे जाते है। क्योकी उस समय के राजा द्वारा किया जाने वाला बहुबिवाह की प्रथा के बिपरीत उन्होने एक ही शादी किया तथा अत्यन्त बिपरित परिस्थिती के आने के बादवजुद भी उन्होने अपना किया वादा निभ़ाया। भारतीय समाज ने इनको अपना आदर्श मानकर ये जती दिया कि हमारे भाव कि सर्वोच्यता क्या है। बिभिन्नताओ के इस महासागर को थाह पाना संभव नही है। हम तो आपको एक बधाई के उत्साह के प्रति आपके भाव को गढ़ना चाहते है।
आप उपर दिये मैसेज को अपने हिसाव से बदलकर सवको मैसेज कर सकते है। इससे आपके भाव के अभिव्यक्ति के साथ-साथ आपका मनोभाव भी संचारित हो जायेगा।
युगल जोड़ी को खोजने की कला को जानना एक बेहद संयोग माना जाता है। इसलिए इसी भाव को इंगित करता यह छोटा मैसेज आप तक पहुँच रहा है।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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