साधारण बोगी
यात्रा आजकल एक जरूरी व्यवस्था बन गया है इसके बिना किसी कार्य को समय से निस्पादन करना एक कठीन बिषय है। यात्रा को सुखद आरामदेह और आनन्द पुर्ण बनाने के लिए लगातार प्रयास चलते रहते है। लेकिन कुछ ऐसी घटना जिनका हमने पुर्वानुमान नही लगाया या हमारी जानकारी इस स्तर की नही थी या समझ नही पाई हमे नुकशान दे जाता है। हमारी इसी व्यवस्था से यह शिकायत रहता है लेकिन इसको बिल्कूल सही कर पाना संभव भा नही होता है।
साधारण ट्रेन या साधारण वोगी की बातें करे तो यहां की व्यवस्था समय के साथ बदलती रहती है जरुरतमंद लोग इसका प्रयोग करते है अतः इसकी स्थीरता से स्वयं को सचेत रहने की जरुरत है। ऐसे लोग जो मानसिक रुप से चंचल तथा शारीरिक रुप मे कामजोर होते है ऐन केन प्रकारेन अपने अभिलाषा की पुर्ती के लिए कार्य संपादन को करते है। यदी इनकी निगाहें आपके व्यवस्था के उपर लग गई तो यह स्वतः ही अनुमान लगा लेते है कि आपसे कैसे इनको व्यवहार करना है। आपके उदारता, आपकी सतर्कता, आपकी व्यवस्था तथा ऐसी ही कई अन्य प्रकार के व्यवस्था का उपयोग करते हुए आपको हानी पहुँचा सकते है।
हमें समान्य व्यहार मे रहने की आदत है जिसमे हम बहुत सतर्क नही रहते है जिससे की हम कीसी भी भाव को आसानी से समझ सगते है लेकिन जहां की परस्थिती अत्यंत चलंत है, जहां कोई भी अपना नही है, जहां को समझना एक कलात्मक पहलु है, सतर्कता के साथ स्वयं मे संतुष्ठ रहते हुए कार्य प्रणाली के साथ व्यवस्थित होना होता है। जिससे की हानी के साथ मानसिक दवाव की नौवत नही आय़े।
समय और व्यवस्था का आपना ही गणित होता है जिसको समझना ही श्रेष्ठगर होता है जो इसके प्रती सदा बफादार होता है और स्वयं से संतुष्ट होते हुए हर कार्य को व्यवहार कुशलता के साथ कार्य करता है उसको कभी गहरे मानसिक सदमा का सामना नही करना परता है। इसलिय सतर्क रहे स्वस्थ्य रहे। चिंतन को स्विकार करें चिंता से स्वयं को व्यथित करना कतई बुद्दिमानी नही है। यही भाव हमारे जीवन को उपयोगी बनायेगा और हमे आगे बढ़ने के लिए सदा प्रेरित करता रहेगा।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
बैवाहीक चक्र को नियमित और व्यवस्थित करते हुए आनंदित जीवनयापन के सूत्र को अपनाना जरूरी होता है।
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