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प्राकृतिक रिस्ते
प्राकृति मे होने वाले उथल पुथल से हम प्रभावित हए बिना नही रह सकते है। हमें इसका ध्यान रखना परता है। जितना ही अधिक जानकारी हम इसका रखते है उतना ही हम सुखी रह सकते है। हमारे चारो ओर प्रकृति प्रदत वस्तु मौजुद है। यहां तक की हम भी प्रकृति के ही अधिन है और वातावरण के साथ लगातार संयोजित होते रहते है। प्रकृति के साथ हमारा सबंध प्यार का है यानी की हमारी जीवन और जीवन से जुड़ी सारी खुशी के लिए हम इसपर ही निर्भर करते है। जो लोक प्राकृतिक आवास और मौसम के बिच रहते है ज्यादा सुखी समपन्न रहते है। प्रकृति हमारा पोषण करती है। इससे मिलने वाला उपहार से हमारे जीवन मे खुशी का नया संचार जागृत हो जाता है।
आजकल जीवन कृतिमता के तरफ बढ़ रही है जिसका प्रचार-प्रसार जोड़ सोर से हो रहा है और लोगो का झुकाव भी इस तरफ बढ़ रहा है। इसके साथ ही लोगो को कई तरह के असाध्य रोग का भी प्रचलन बढ़ने लगा है। इसलिए प्रकृति के साथ हमारा संबंध प्यार का होना जरुरी है जिससे की आनन्द की असीम सीमा मे विहार कर सके।
प्रकृतिक प्रेमी स्वछंद और मूल स्वभाव के होते है जिससे उनका जीवन तनाव रहीत रहता है क्योकि प्रकृति अपने अंदर हर समस्या का सांमाधान रखती है जरुरी है हमे इसको समझने की।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
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