साथी और प्यार
जीवन मे आगे बढ़ने वाले की पाकृति अलग होती है उसके सोचने समझने तथा व्यवहार करने के पहलू अलग होते है क्योकि वो आगे बढ़ने मे काम आने वाले पहलू पर लगातार बिचार करता रहता है। वह अपनी नियत खुशी को पाने के लिए जो सक्षम प्रयास की जरुरत होती है करते रहने के लिए स्वयं से प्रेरित होते रहतें है। उसकी यही बृती उसके विकास को आगे बढ़ाती है और वह स्वयं को खुशी रखने की लगातार कोशिश भी करता रहता है। इस तरह के व्यक्ति को खुद पे विश्वास होता है क्योकी कार्य संपादन के लिए जरुरी तथ्य को वह साधना शुरु कर देता है। जरुरत के हिसाव से वह सहयोग लेता है और वह उसे मिल भी जाता है जिससे उसके विकास की यात्रा आगे बढ़ती रहती है।
व्यक्ति को खुश रहने के लिए विचार विनियमय की जरुरत होती है। एक दुसरे को सहयोगी बनकर खुशी को प्राप्त करते है। इसके लिए एक दुसरे को समझना होता है। एक दुसरे से लाभ के प्रति जिम्मेदारी को समझकर किया जा रहा कार्य उसके प्यार को स्थापित करता है जो उसके विश्वास को बढ़ा देता है। यह सब सहजता से होता है क्योकि उसकी यही बृति है।
प्यार की भाषा और व्यवस्था को समझना और सिखना होता है। एक दुसरे के प्रति निष्ठावान होते हुए जो कार्य किये जाते है उससे कार्य की पुर्णता का भाव बढ़ जाता है। जीवन मे सफलता चाहने वाले को ऐसा ही व्यवहार अच्छा लगता है जो उसके व्यवहार के साथ मेल खाता है।
साथी और प्यार की बात को एक दुसरे के प्रति विश्वास को बनाते हुए जो कार्य किये जाते है उससे खुशी लगातार बनी रहती है। इसी आकांक्षा को व्यक्त करता ये लेख बड़ा ही रोचक है। हमे यह सिखाता है कि हमे कैसे एक दुसरे के भावना को सम्मान करना चाहिए और खुशी को लागातार पाने की आंतरिक भावना से प्रेरित होकर जीवन को उतकृष्ट बनाना चाहिए।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
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