प्यार की उपहार
प्यार भावपुर्ण अभिव्यक्ति का माध्यम है जिसमे एक दुसरे के प्रति निष्ठावान होते हुए हम जीवन को उल्लासपुर्ण माहौल मे जीने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते है। जब किसी को प्रसन्नचित करना चाहते है तो उसके खुशी का ख्याल करते है और भावभंगिमा बनाकर उसे प्रभावित करने की कोशिश करते है जिससे की उसके मनोभाव बदल जाते है। ऐसा करते समय हमारी तैयारी खास तरह की होती है जिससे उत्साह के साथ भरपुर मनोरंजन होता है। प्यार को जागृत किया जाता है जिससे की उसके मनोभाव समायोजित होकर दृढ़तापुर्ण व्यवहार के साथ एकात्मभाव को प्राप्त करते हुए आगे बढ़े और कार्य संपादन का कार्य समुचित तरीके से सुनिश्चित होता रहे।
निकलते सुरज के प्रति मनोभाव बड़ा ही भावुक होता है क्योकि अंधेरा से उबने के बाद उजाला उत्साह देता है। सुबह के इस लालिमा लिए किरण के प्रति हमारी संवेदना बड़ा ही उत्साहवर्धक होता है। हम कई प्रकार के कार्ययोजना के साथ खुद को क्रियांणवित करते है। उसी प्रकार प्यार की प्रकृति की भी अवस्था वही होती है। जब नाजूक भावना का समागम होता है और एक दुसरे प्रति आरुढ़ हो जाते है तो उत्साह अपने पुरे चरण पर होता है। नजर की अवस्था स्थिर हो जाती है। अधिक से अधिक जानकारी के साथ स्वयं को उत्साह से भर लेने की प्रबृति को सराहते है। हमारी कार्ययोजना भी उसी के अनुरुप कार्यान्वित होती है। प्यार को दोनो तरफ से प्रभावित करने के लिए लगातार प्रयासरत रहते है। स्वयं को सुंदर बनाने और निखारने के बिचार को बल मिलता है। स्वयं के कार्ययोजना पर अमल करने के कारण उत्सुकता का स्तर काफी उँचा होता है।
प्यार के आगोश मे एक बार चले जाने के बाद इससे बाहर आना संभव नही होता है, क्योकि भवनात्मक लगाव के साथ स्वयं को उस कार्ययोजना का हिस्सा बनाकर जीवन की एक अलग कला को अपना लेते है। जिससे की हमारी अवस्था प्यार के साथ जीने की हो जाती है। फिर इससे बाहर निकलकर कुछ अलग करने के बिचार को सराहना संभव भी नही होता है। यह गुणकारी भाव को बनाना और निभाना आसान नही होता है। क्योकि जीवन मे कई ऐसे पल आते है जब हमे अपने प्यार की परीक्षा देनी होती है। जो इस प्यार को उपहार मानते है वह कभी इसके भुला नही सकते है। लेकिन जो अधिकार मानते है उसके मन मे दुषित भाव जन्म ले सकती है और असंतोष की भावना का शिकार हो सकता है।
प्यार के उपहार की ये कलात्मक भावपुर्ण अभिव्यक्ति हमारे जीवन को एक अर्थ देता है जिससे हम जीवन की हर मनोकामना को पुरी कर सकते है जबकि हमारा पुरा ध्यान हमारी कार्य निष्ठा के साथ स्वयं के ऊपर भरोसा करके आगे बढने का होता है।
लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
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