

Blue battle ground
‘Natural analysis of blue battle ground is in poem for making peace. Winner always wins battle ground they did not mind living creature in that field. Out of war Zone only assume for living creature. Battle ground mass distruction process is going on so enemy person always encounter it and try to win. So very difficult to ensure life of living creature. Only solution is that make a peace for probable solution.
निले समंदर मे चीन, जापान, अस्ट्रेलिया. अमेरिका, तथा ताईवान के बिच युद्द की अंतिम पटकथा लिखने कि तैयारी चल रही है। इसकी शुरुआत अमेरिका तथा चीन के बिच व्यापरिक मतभेद के बाद हुआ। अमेरिका के द्वारा 200 से अधिक चीनी वस्तु पर प्रतिबन्ध के बाद चीन ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त की। इसके बाद कोरोना भाईरस जैसे जैविक हथियार को छोड़ा गया। विश्व की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के ख्याल से किया गया चीन का ये प्रहार सही सावित भी हुआ। विश्व के बड़े देश इसके बिरुद्द एक मंच पर आने लगे। चीन के बिस्तार बादी नीति को पुरे विश्व मे आलोचना हुई। तथा गरीव देश को हरपने की नीति को लगाम लगाने के लिए प्रयास तेज हुए। इसी के बाद चीन के साथ उसके परोसी देश से भी अनबन होने लगी। इसमे भारत भी था। निले समंदर मे फिर परोसी देश की सेना आपने सामने हो गयी। यहां यह निर्णय होना है कि कौन आगे निकलता है। क्योकि आज की परिस्थिति जो कोरोना के बाद है, उसको सही रुप से व्यवस्थित होने मे बहुत समय लगेगा तब तक परिस्थिति भी बदल चुकी होगी। इसलिये यह निर्णयक घड़ी है। ऐसा मानकर चीन अपने प्रखड़ता को तेज बनाकर आगे निकलने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।
निले समंदर मे हो रहे नित नये प्रयोग वहां के जलीये जीव तंत्र के सामने एस समस्या खड़ी कर दी है। इसका मुल्यांकन तो स्थिति सामान्य होने के वाद होगा। लेकिन यदि यह निर्णायक युद्द मे आकर खत्म हुआ तो क्या होगा। पुरा का पुरा निला समंदर के जलीये जीव की स्थिति खतरे मे पर जायेगी। परमाणु हथियार के खतरनाक बिकिरण समंदर को लगातार बिगारते रहेंगे। परमाणु हथियार के इस्तेमाल से जो उर्जा निकलेगी उससे वहां के जीव पर जो प्रभाव परेगा इसका अनुमान लगाना अभी कठीन है। क्योकी कौन कितना प्रयोग करेगा इसको अभी नही कहा जा सकता है। हिरोशिमा और नागासाकी की युद्द की त्रासदी से हमलोग परिचित है, कि परमाणु हथियार कितना खतनाक है। लेकिन इसबार मानव के साथ साथ जलिये जीव भी अपनी गाथा लिखेंगे।
बन्धुगण जब-जब आर्थिक असंतुलन बना है युद्द की स्थिति बनी है। इसके लिये आज भी एक नये प्रयास की जरुरत है ताकि समरसता बनी रहे। लोतंकत्र से लोगो को ये उम्मीद थी की ऐसी नौवत नही आयेगी। लेकिन मानव के स्वाभिमान ने उसको स्वयं ही परास्त करना शुरु कर दिया। निले संदर की गाथ को हम आगे भी समझेंगे अभी तो बस तीन शेर के बिच कि जोर अजमाईस है कि कौन आगे निकलेगा। अमेरीका, चीन तथा रुस के बिच लगातार हो रहे बैज्ञानिक शोध तथा प्रयोग युद्द की दशा तथा दिशा दोनो को बदल सकता है। यह हिन्द
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लेखक एवं प्रेषकः अमर नाथ साहु
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- हैसला चाहिेए किसी भी सुश्किल काम को करने के लिए।
- युवा और युद्घ का वड़ा को करीव का रिस्ता होता है।
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