Life

श्रधेय बिदाई

श्रधेय बिदाई

श्रधेय बिदाई हमारा नित्य प्रति लोगो से मिलने जुलने का कार्य चलता रहता है, ऐसे मे कुछ ऐसे लोग होते है जो अपना एक प्रभाव छोड़ जाते है, जिन्हे हम कार्य उन्मुख होते समय उनकी याद करते है। ऐसे लोगो के प्रति हमारा भाव एक बिचार बनकर हमारे अंदर रह जाता है। इन्ही बिचारो की एक कड़ी हम यहां भेंट कर रहे हैकार्य मे प्रखरता तथा ततपरता व्यक्ति को एक दुसरे से जोडने का जो कार्य करता है उसका प्रभाव बनता है। कार्य के प्रति लगाव की गाथा को सुनाकर एक दुसरो को प्रोत्साहन करने की बात सतत चलती रहती…
Read More
मोबाइल वाली दुल्हन

मोबाइल वाली दुल्हन

मोबाइल वाली दुल्हन मोबाईल के इस युग मे लोगो को अपनी बात कहने का एक आसान साधन मिल गया है। अपने भाव को दुसरों तक पहुँचाने मे इसका प्रयोग तेजी के साथ हो रहा है। हमारी भाव का प्रारुप दुसरे भाव को शेयर करने तक सिमित रह गया है। कहीं न कहीं हमारी मुल भावना का लोप दुखाई दे रहा है। फिर भी हम आजकल के भागमभाग जिंदगी को मोबाईल से दुर नही कर सकते है।यहाँ मोबाईल वाली दुल्हन के रुप मे हम आजकल के जिंदगी के एक प्रारुप को व्यक्त करने की कोशीश कर रहे है आशा है हमारी…
Read More
बिर्रो

बिर्रो

बिर्रो उमंग उल्लास मे बितता जीवन जब एक नये दौर मे पहुँचता है, तो उसका सुखद एहसास गहरा तथा अति व्यक्तिगत होता है। इस नाजुकता को समझ पाना आसान नही है। इसका बर्णन तो काव्य रुप मे ही किया जा सकता है, जिससे की इसकी प्रखरता का अनुमान लगाया जा सके। आजकल बहुत कम लोग होते है, जो ऐसी उड़ान का आनन्द लेना पसंद करते है। अधिकांश लोग तो सोर सरावा मे इस तरह खो जाते है कि उनको वास्तविकता का एहसास ही नही होता है। वह लगतार ही यह खोजता रहता है कि आखिर इस छनिक एहसास का मुल…
Read More
नफरत का फल

नफरत का फल

नफरत का फल नफरत व्यक्ति को अंधा बना देता है, व्यक्ति की मानसिक स्थिति पुरी तरह बदल जाती है। वह अपनी बैचारिक सिमा के बाहर नही जा पाता है। उस सिमा के बाहर जाकर सोचना उसके लिए अत्यंत दुखद होता है। दुख के इस बंधन के पार जाकर सोचना तथा उसका निदान निकालना नही चाहता है क्योकि बह अपनी बर्तमान सोच को ही अंतिम सोच मान लेता है। व्यक्ति कभी पुरा घटना चक्र को अनजान बनकर नही सोचता है, बल्कि बह उसका हिस्सा बनकर रह जाता है। आनेवाली समस्या के जानकर होने के बाबजुद बह अपनी सही हल नही निकाल…
Read More
दहेज

दहेज

दहेज दहेज का बोलबाला हमेशा से रहा है। शायद ही इसको पुर्ण रुप से समाप्त किया जा सके। लेने तथा देने की प्रबृति दोनो तरफ रहती है। इसी से व्यक्ति के गुण दोष का पता भी चलता है। एक चलन भी लोगो को प्रभावित करता है। कोई धन लेकर दुल्हन से समझौता करता है तो कोई दुल्हन लेकर धन से समझौता करता है तो कोई निःस्वार्थ भाव से अपने को धन्य करता है। इस बिशाल जनमानस के बिच रंग बिरंगे रुप देखने को मिलता है। हमारा उदेश्य ऐसे समाज की स्थापना का रहता है जो एक स्वस्थ्य परम्परा का निर्माण…
Read More
गुरुर

गुरुर

संबंधित लेख को जरुर पढ़ेः- खुद की तलाश काव्य लेख हमें अंदर झांककर गलती सुधारते हुए जीवन मे सफलता की सिढ़ी को चढ़ने की यात्रा का बृतांत है। आप भी देख लें कही आप भी तो नही.गुरुर काव्य लेख हमें दैनिक जीवन से जुड़ी तोड़ जोड़ से होने वाले बिसंगती की ओर से सावधान रहने की कला की ओर ईसारा कर रहा है।स्वाभिमान  की कला से हमे कैसे वक्त की सिढ़ी चढ़नी है इसको व्यक्त करता यह काव्य लेख एक दृष्टि देता है।वक्त का आईना खुद को नियोजित करने के लिए वक्त के आईने मे खुद को देखना जरुरी होता…
Read More
error: Content is protected !!