18
Apr
मुस्कान और थकान रिस्तो मे भावनाओं को समझने की कला के साथ एक दुसरों को खुश रखने की मनोबृती बनने लगती है तो सुख और समृद्धी का अनोखा मौसम छा जाता है। आस परोस बन्धु बांधव के साथ भी हमारा व्यवहार अनोखा होने लगता है। कहते है शुरुआत खुद से हो और आगे बढ़ाते जाए तो बिश्वास भी मजबुत होने लगता है। समय के साथ होने वाली परेशानी और उससे निपटने के तरीके को यदी हम सही से नही समझते है या हमारी आकांक्षा काफी उंची होती है और हमारी आमदनी कम तो हम जीवन मे तनाव के साथ जीते…