जोगीरा

Jogira

एक भाई का किस्सा

होली मे एक दुसरे को उत्साहित करने के लिए बिभिन्न प्रकार के रंग डालने की व्यवस्था को अपनाते है जिससे कि वह आपस मे एक दुसरे के नजदुकी को और सशक्त बना सके। हमलोगो को व्यवहार मे रहते हुए किसी न किसी समस्या का सामना करना ही पड़ता है, इसका समाधान हमारे सामाजिक व्याहार से ही संभव है। हमारे नजरीया मे फर्क होने के कारण हम एक दुसरे से बिगलाव महसुस करते है। यह पर्व हमे उसी भाव को दुर कर एकात्म होने के बिचार को सामर्थवान बनाता है, जिससे कि समाज को बहुध्रुबीय होने से बचा जा सके।

हमारे जुड़ाव का कारण हमारी जरुरत होती है, यदि हमारी जुरुरत ना हो तो फिर जु़ड़ाव कैसे हो, लेकिन यह पर्व समाज को जुड़ने का एक अर्थ देता है जिसमे सबकी आस्था एक खास तरह के बिचार मे समाहित होता है। इसमे हमारे समाज का कल्याण जुड़ा हुआ है। यह जोगीरा इसी भाव को प्रदर्शित करता है। जोगीरा को बोलकर सुनाने से लोगो मे जबरदस्ती होने के प्रती बिचार का भाव स्पष्ट हो जाता है, जिससे की उनका गुस्से पर नियंत्रण किया जा सके। हमारे सामाजिक ढाचा को उत्तम बनाने के लिए इस तरह के जोगीरा का प्रचलन बहुत पुराना है लेकिन यह आपके लिए एक सुन्दर व्यवस्था लेकर आता है।

इसको समुह मे बैठकर हास्य व्यंग के द्वारा आनन्द का जरीया बनावे जिससे कि होली के वास्तविकता का आनन्द उठा सके।

नोटः- इसके लिंक को अपनो तक जरुर दे जिससे की उनका भी मार्गदर्शन हो सके।

लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु

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By sneha

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