बुंद पानी भरे
प्यार की गहराई को नही समझने वाले पती के प्रती यह व्यंग है। अपनी संतुष्टी को ही आधार मानकर आगे निकलने वाले पती के मनोभाव को दर्शाता यह जोगीरा व्यवहार मे वदलाव को कहता है। पती के कर्तव्य को मर्ग दर्शित करने पर कभी – कभी उसे गलत मन लिया जाता है। जिसके कारण नारी मन मशोर कर रह जाती है। उसका जीवन तनाव पुर्ण कट जाता है। कहा भी गया है की नारी को समझना कठीन है।
यह जोगीरा पती को सावधान करते हुए कहा गया है कि आप अपने जीवन साथी के संतुष्ट रखने का पुरा प्रयास किजिए जिससे की समाजिक समरसता को पाया जा सके।
नोटः- आप इस लिंक को अपनो तक जरुर प्रेषित करे जिससे की उसका भी कल्याण हो सके।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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