लम्बे मेरे बाल
तन की व्यथा मन के उपर राज करने लगती है। इसको जवानी की अल्हरपर कहा जाता है। खोये – खोये से रहना। अपने बिचार को सही रखीये। अपने मन की भाव को शेयर करना चाहिए जिससे की सामने वाले को अपके प्रती व्यवहार उनका सही रहे। स्टाईल मे चुर नायिका को अपने आगे के वारे म ख्याल नही रहता है। इसलिए यह दुर्धटना घटती है।
इस जोगीरा के जरीये यह कहा जाता है कि अनावश्यक रुप से मन को व्यथित करना सही नही है। अपने बिचार को सही तरह से रखकर जीवन को बिकाशोन्मुखी रखना चाहिए।
नोटः- आप इस लिंक को अपनो तक जरुर प्रेषित करे जिससे की उसका भी कल्याण हो सके।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
संबंधित लेख को जरुर पढ़ेः-
- होली के जोगीरा को दर्शाता यह काव्य लेख अनोखा है।
- होली के जोगीरा2
- होली के जोगीरा3
- होली के जोगीरा4
- होली के जोगीरा5
- होली के जोगीरा6
- होली के जोगीरा7
- होली के जोगीरा8
- होली के जोगीरा9