अल्हरपन के कारण व्यवहार मे बदलाव देखने को मिलता है। इस तरह के बदलाव परिवारीक रुप से सही नही माना जाता है। इसलिए अपने जिवन साथी के मनोभाव को दुरुस्त करने के लिए ही इस तरह के जोगीरा को कहा गया है। प्यार करने की तीखी नजर अपने पर रहता है। कहा जाता है कि प्यार जितना गहरा होगा प्यार पर उतना ही पहरा होगा। चाहत बढ़ने के साथ ही शरीर के संवेदनशीलता भी बढ़ जाती है। इसका नियंत्रण भी जरुरी है।
जोगीरा के द्वारा समाज मे ऐसे बिचार रखने वालो पर सिधा व्यंग किया गया है कि इस तरह के भाव एक दुसरे के प्रती बिलगाव पैदा करता है। इसलिए इससे दुर रहना चाहिए। इस जोगीरा मे इसी बात पर व्यंग किया गया है।
नोटः- आप इस लिंक को अपनो तक जरुर प्रेषित करे जिससे की उसका भी कल्याण हो सके।
लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
संबंधित लेख को जरुर पढ़ेः-
- होली के जोगीरा को दर्शाता यह काव्य लेख अनोखा है।
- होली के जोगीरा2
- होली के जोगीरा3
- होली के जोगीरा4
- होली के जोगीरा5
- होली के जोगीरा6
- होली के जोगीरा7
- होली के जोगीरा8
- होली के जोगीरा9