यदि कही किसी बात पर चर्चा चल रहा हो तो यह अनुमान लगा लेना की हमारी ही चर्चा हो रही होगी। यह अपसी तनाव को पैदा करता है। इस तनाव के कारण हमारा समान्य व्यवहार भी प्रभावित होता है। जिससे की आपसी सामान्यजस्य बिगरने लगता है। इससे पैदा होने वाला तनाव के कारण गुस्सा का बना माहौल को होली के जरीये जोगीरा के रुप मे प्रकट करके कहा जाता है।
जोगीरा मे यह उक्ती इस तरह के व्यक्ति को सावधान करता है। यह व्यंग के वाण हमारी अंतः करण को छु जाता है। आनेवाली समय के लोग अपने सहज तथा सतर्कता को सही करके अपना जीवन निर्वाह करते है।
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लेखक एवं प्रेषकः- अमर नाथ साहु
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